जशपुर। CG NEWS : जिले के वनमंडल बगीचा के कलिया बुटंगा गांव से लगे बेंदवार डाँड़ में जंगल के किनारे स्थित चार घरों में वन अमले की टीम ने दबिश दी। वन अमले लगभग तीन सौ नग से अधिक का चिरान लकड़ी जब्त किया है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार लंबे समय से इमारती लकड़ी के अवैध कटाई और परिवहन का कारोबार चल रहा है, जिसमें बगीचा रेंज और बादलखोल के कर्मचारियों के मिलीभगत से भी इनकार नहीं किया जा सकता। सबसे बड़ी बात यह हैं कि इतनी बड़ी मात्रा में लकड़ी की बेखौफ कटाई किया गया तो इसका जिम्मेदार आखिर कौन है. क्या उस वन परिक्षेत्र के किसी भी कर्मचारी को इसकी भनक तक नहीं लग सकी ? विचार का विषय और बेहद गंभीर है, क्योंकि जहां लकड़ी पकड़े जाने की कार्रवाई हुई है। वहा कई वर्षो से वन लकड़ी तस्करी की जानकारी मिल रही है.
वन अमले को सूचना मिली थी कि बगीचा विकासखंड के बुटंगा पंचायत में बेंदवारडांड में बड़ी संख्या में लकड़ियों की तस्करी की जाती है। जिस पर जशपुर वन मंडलाधिकारी द्वारा बगीचा, कुनकुरी,सन्ना, नारायणपुर, दुलदुला समेत जिले के वन अमले की टीम गठित की गई। जिन्होंने यहां के चार घरों में छापा मारा जिसमे लाखों की सैकड़ो इमारती लकड़ी मिली हैं। कार्रवाई में शामिल रेंज के अफसर समेत अन्य वनकर्मी मिलकर अपनी पीठ थपथपाने का कार्य कर रहे हैं। देखने वाली बात यह होगी कि लम्बे समय से भारी मात्रा में हो रहे वनों की कटाई और तस्करी में वन विभाग कर्मचारियों की संलिप्तता जांच की जाती है अथवा नहीं। बहरहाल यह बात कहां तक सच है यह जांच से ही स्पष्ट हो सकेगा।
यहा लंबे समय से लकड़ियों को चीरने का और तस्करी का काम चल रहा था। मौके से टांगी व आरा भी वन अमले ने जब्त किया है। बुटंगा पंचायत का यह क्षेत्र आज भी दुर्गम है जहां नदी नाले को पार कर पगडंडियों से पंहुचा जाता है। जंगल के किनारे बसे इस गांव में गिनती के चार से छः घर हैं जहां लगभग सभी घरों में सैकड़ों की संख्या में ईमारती लकड़ियों की भरमार है। घरो में पटरा, चौखट समेत अन्य लकड़ियां भरी हुई हैं जो लम्बे समय से यहा एकत्रित किया जाता रहा है।
आपको बता दें कि वनों की रखवाली का जिम्मा वन विभाग को सौंपा गया है। वन विभाग के ही कर्मचारियों की मिलीभगत से इन गांवों में वन माफियाओं द्वारा प्रतिदिन बड़ी संख्या में प्रतिबंधित हरे पेड़ों पर कब आरा मशीन चलाकर काटा जाता रहा है जिम्मेदारों को इसका पता ही नहीं चल सका। ग्रामीण बताते हैं कि इन पेड़ों की कटाई से वन क्षेत्रों को काफी नुकसान हुआ है।