राजनांदगाव। खरीफ सीजन में किसानों को खाद उपलब्ध कराने के बजाय सहकारी सोसायटियों ने जमकर फर्जीवाडा किया है। प्रशासन द्वारा कराए गए जांच में चौंकाने वाले मामले सामने आए हैं। जिले के दो दर्जन से अधिक सोसायटी, लाइसेंसी दुकानदारों ने फर्जी नाम से खाद बेचने का न सिर्फ उल्लेख किया है, बल्कि किसानों के लिए शासन द्वारा उपलब्ध कराए गए खाद के नाम पर मुनाफाखोरी किए जाने की भी पुष्टि हुई है।
कलेक्टर टीके वर्मा के निर्देश पर अपर कलेक्टर श्री मार्कडेय की अगुवाई में टीम बनाकर जांच की गई। इस दौरान जिले में आधा दर्जन सोसायटियों द्वारा बेचे गए खाद संदिग्ध पाए गए। वहीं नौ निजी खाद लाइसेंसधारियों को भी जांच के दायरे में लिया गया है। प्रशासन की टीम द्वारा जांच में खाद लेने और बेचने वाले अफसर और संचालकों का बयान लिया गया है। जिसमें यह बात सामने आई है कि निजी संचालकों द्वारा सब्सिडी पाने के आड़ में फर्जी किसानों के नामों की एंट्री की गई है। इसी तरह जिले के छह सहकारी सोसायटियां भी जांच के दायरे में आए हैं, जिन्हें प्रशासन द्वारा नोटिस जारी किया गया है।
सब्सिडी लेने निजी दुकानदारों ने रची चाल : प्रशासन द्वारा कराए गए जांच में जिले के करीब नौ निजी खाद लाइसेंसधारियों द्वारा किसानों के फर्जी नाम की एंट्री की गई है। निजी संचालकों द्वारा जिन्हें खाद बेचा गया है, जांच में ऐसे किसानों ने खाद का उपयोग ही नहीं किया है। जांच में इस बात की पुष्टि हुई है कि संचालकों ने स्टॉक दिखाने के लिए फर्जी आधार कार्ड के जरिए पीओएस में एंट्री की गई है, ताकि शासन से मिलने वाले सब्सिडी उन्हें आसानी से मिल जाए।
महाराष्ट्र के किसानों को बेचा खाद : निजी संचालकों ने खाद बेचने के लिए महाराष्ट्र के किसानों के आधार कार्ड का उपयोग किया है। इस तरह निजी संचालकों ने खाद की फर्जी बिक्री बताने के लिए ऐसे किसानों के आधार कार्ड का उपयोग किया है, जिन्होंने खाद का उपयोग किया ही नहीं है। इस तरह प्रशासन द्वारा कराए गए जांच में जिले के बीस सहकारी और निजी संस्थानों से 19 हजार 144 टन खाद का हिसाब संदेह के दायरे में है।
जांच रिपोर्ट सौंपा गया : जिलेभर में खाद बिक्री के मामले में जांच की गई है। इस दौरान सोसायटी और निजी लाइसेंसी द्वारा फर्जी एंट्री किए जाने के मामले सामने आए हैं। जांच रिपोर्ट प्रशासन को सौंप दिया गया है।