भारत। Pitru Paksha 2023 : हिंदू धर्म में पितरों की पूजा का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है क्योंकि मान्यता है कि जिन लोगों पर पितरों की कृपा बरसती है, उसे जीवन से जुड़े सभी सुख और वैभव प्राप्त होते हैं और उसके वंश की वृद्धि होती है तो वहीं उनकी उपेक्षा करने वालों को तमाम तरह के कष्टों को झेलना पड़ता है. 14 अक्टूबर सर्व पितृ अमावस्या तक रहेंगे. कुंडली के पितृ दोष दूर करने के लिए पितृपक्ष का समय सबसे अच्छा माना जाता है. गरुण पुराण के अनुसार जो व्यक्ति श्रद्धा के साथ पितृपक्ष में अपने पितरों के लिए श्राद्ध करता है, पितर उससे प्रसन्न होकर उसे लंबी आयु, संतान सुख, वैभव, धन-धान्य, मान-सम्मान आदि सभी प्रकार के सुख प्रदान करते हैं. पितरों की कृपा से वह सभी सुखों को भोगता हुआ अंत में मोक्ष को प्राप्त होता है. आइए पितृ पक्ष में पितरों के लिए किए जाने वाले श्राद्ध से जुड़ी 5 बड़ी बातें जानते हैं.
- हिंदू मान्यता के अनुसार पितृपक्ष में पितरों के लिए तर्पण करने का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है. पितरों को जल में तिल मिलाकर उन्हें अर्पण करना ही तर्पण कहलाता है. मान्यता है जो व्यक्ति पितरों को तीन अंजुलि जल में तिल मिलाकर कुशा के साथ अर्पित करता है यानि तर्पण करता है, उससे उसका पितृदोष समाप्त हो जाता है. तर्पण सिर्फ पितरों के लिए ही नहीं बल्कि देवताओं, ऋषियों, यम आदि के लिए भी कया जाता है. पितृपक्ष में पीपल के वृक्ष पर भी काले तिल, दूध, अक्षत अैर पुष्प मिलाकर अर्पित करने पर भी पितृ प्रसन्न होते हैं.
- पितृपक्ष में पितरों के लिए किए जाने वाले श्राद्ध का संबंध श्रद्धा से है, इसलिए उनके लिए जब भी श्राद्ध करें तो तन और मन से पवित्र होकर करें और इस दौरान भूलकर भी तामसिक चीजों का सेवन न करें. हिंदू मान्यता के अनुसार पितृपक्ष में श्राद्ध के लि सबसे उत्तम समय दोपहर के 12 से 01 के बीच का होता है. इसलिए श्राद्ध कर्म को इसी दौरान करने का प्रयास करें.
- पितृपक्ष में दान का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है. ऐसे में पितृपक्ष में अपने पितरों की तिथि पर अपनी सुविधा के अनुसार किसी भी दिन किसी सुयोग्य ब्राह्मण अथवा जरूरतमंद व्यक्ति को अपने सामर्थ्य के अनुसार दान अवश्य करें. पितृपक्ष में काले तिल का दान, गोदान, अन्न दान, आदि का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है.
- हिंदू मान्यता के अनुसार पितृपक्ष में जब कभी भी आप पितरों के निमित्त श्राद्ध करें उनकी फोटो को हमेशा घर की दक्षिण दिशा में लगाएं और उनका पुष्प चढ़ाकर पूजन करें तथा जाने-अनजाने की गई गलती की क्षमा भी मांगे तथा जीवन में मिले सभी सुखों और आशीर्वाद के लिए उनका आभार प्रकट करें. पितृपक्ष में कभी भूलकर भी पितरों की आलोचना न करें.
- पितृपक्ष में हमेशा किसी सुयोग्य ब्राह्मण से पितरों के लिए पूजन कार्य कराएं और उसे इस कार्य को संपन्न कराने के लिए आदर पूर्वक आमंत्रण दें और भूलकर भी उसे दिये जाने वाले दान का अभिमान न करें. पितृपक्ष में ब्राह्मण को कांसे या पत्तल में भोजन कराएं और उनको भोजन कराते समय शांत रहें।