देवभोग। भतराबहाली गांव का नाम छत्तीसगढ़ के नक्शे से कहीं गायब न हो जाए , यह डर अब ग्रामीणों को सताने लगा है। नदी के किनारे बसे इस गांव के किसानों का दर्द अब कोई नही सुन रहा है। भले ही चुनावी सीजन में वादों व दावों की झड़ी लगती है लेकिन चुनाव सीजन खत्म होने के बाद कोई सुध नही लेता। भतराबहाली गांव के ग्रामीणों का लगातार हो रहे नदी के कटाव से अब तक 100 एकड़ जमीन तेल नदी निगल चुका है. अब यदि तटबंध बनेगा तो ही गांव और ग्रामीणों की जान और जमीन बच पायेगी।
दरअसल , भतराबहाली के ग्रामीण बारिश के दिनों मे रतजगा करने को मजबूर हो जाते है , तेल नदी के कटाव के कारण किसानों की जमीन तो बर्बाद हो रही है साथ ही ग्रामीणों की जान के लिए भी संकट खड़ा होता दिख रहा है। गांव से नदी की दूरी महज 100 मीटर बच गयी है , यहाँ के ग्रामीण तेल नदी पर तटबंध बनाने की मांग वर्षो से करते आ रहे है , लेकिन सुध लेने वाला कोई नही है, बारिश से जब नदी का बहाव बढ़ जाता है तो रात में ग्रामीण रतजगा करने को मजबूर हो जाते है। या फिर गांव छोड़कर किसी और गांव में शरण मांगते हैं। अब तक ग्रामीणों की 100 से ज्यादा एकड़ जमीन नदी में समा गई है।
ग्रामीणों को चिंता सताने लगी है कि कहीं ये गांव अब छत्तीसगढ़ के नक़्शे से गायब न हो जाए। ग्राम भतराबहली का नाम ,1400 आबादी वाले इस गांव के 40 किसानों की जमीन अब तक नदी में समा गई लेकिन जिम्मेदार को जनता से कोई सरोकार नही है , ऐसा नही की इस पूरे मामले पर ग्रामीणों ने किसी नेता व जनप्रतिनिधियों को अवगत नही कराया है , लेकिन अब ग्रामीण अपने आप को ठगा सा महसूस करने लगे है।