रायपुर। राजधानी ही नहीं पूरे प्रदेश में इन दिनों एक जैसे हालात हैं। कोरोना से मरने वालों की संख्या रोज दिन बढ़ती जा रही है। आलम यह है कि शहर के अधिकांश मुक्तिधाम ओवरलोड हो चुके हैं। कहने का तात्पर्य है कि प्रतिदिन जितनी क्षमता में शवों का दाह संस्कार किया जा सकता है, वर्तमान परिदृश्य में अपेक्षाकृत सभी मुक्तिधाम में लगातार लाशों के आने का सिलसिला जारी है। कुल मिलाकर मुक्तिधाम को मुक्त होने का अवसर भी नहीं मिल पा रहा है कि फिर एक नई लाश दाह संस्कार के लिए इंतजार में खड़ी नजर आती है।
मुक्तिधाम में लगातार बढ़ रही इस भीड़ के बीच अब यह समझ पाना भी मुश्किल हो गया है कि कौन सामान्य मौत की वजह से मुक्तिधाम पहुंचा है तो कौन कोरोना की चपेट में आकर अपना जीवन खो बैठा है हालांकि ज्यादातर मामले कोरोना की वजह से ही हैं।
परिजनों को सौंपा जा रहा
शुरुआती दौर में कोरोना से होने वाली मौतों के बाद परिजनों को शव नहीं दिए जाते थे लेकिन अब मरचुरी में भी बढ़ती लाशों की संख्या निश्चिंता के हालात पैदा कर दिया जिसकी वजह से अब लाशों को परिजनों के हवाले ही किया जा रहा है।
जाएं तो जाएं कहाँ
यक्ष प्रश्न तो यह भी है कि इस तरह से सिलसिलेवार हो रही मौतों के बाद आखिरकार इंसान दाह संस्कार के लिए जाएगा भी तो कहाँ, स्वभाविक है अंतिम यात्रा के लिए हर किसी को मुक्तिधाम ही पहुंचना है, पर मुक्तिधाम का मुक्त होना भी तो जरूरी है।