छत्तीसगढ़ में सभी सीटों के परिणाम शाम तक आएंगे लेकिन अब करीब-करीब यह साफ हो गया है कि वहां सत्ता बदलने जा रही है। भूपेश बघेल की विदाई तय हैं। बीजेपी से मुख्यमंत्री कौन होगा यह अभी साफ नहीं हो सका है। पहले बात आज आए परिणामों की। छत्तीसगढ़ एक ऐसा राज्य है जहां तीन महीने पहले तक खुद बीजेपी के नेता इस बात को अंदर ही अंदर स्वीकार्य कर चुके थे कि इस बार कम से कम वह सत्ता में नहीं लौट रहे हैं।
कांग्रेस सोशल इंजीनियरिंग करने में असफल रही। कांग्रेस का सबसे बड़ा वोट बैंक गांवों में था। कांग्रेस उसी को आधार बनाकर चुनाव लड़ रही थी। बीजेपी ने गांव और किसान के उस वोटर में बेहतर चुनावी प्रबंधन किया। कांग्रेस इन जातीय समीकरणों को बिठाने में असफल रही। जो जातियां कांग्रेस को वोट करती रहीं इस बार उससे दूर खड़ी दिखाई दीं।
-छत्तीसगढ़ के चुनावों में लोगों की कुछ नाराजगी सरकार के साथ थी लेकिन बड़ा नुकसान संगठन के सक्रिय ना होने की वजह से हुआ। वरिष्ठ पत्रकार और समालोचक दिवाकर मुक्तिबोध कहते हैं कि संगठन इस बात की खुशफहमी में था कि वह सरकार में आने ही जा रहे हैं। संगठन ने बूथ स्तर पर ना तो मैनेजमेंट किया और ना ही वोटरों को घर से निकालने में दिलचस्पी दिखाई। सरकार और संगठन में एक तरह की दूरी दिखाई दी
-ऐन चुनाव के वक्त महादेव ऐप के प्रकरण ने भी इस धारणा की पुष्टि की। मुक्तिबोध कहते हैं कि इससे इंकार नहीं कर सकते कि भष्ट्राचार के आरोपों ने कांग्रेस का नुकसान किया। आम वोटर के दिमाग में यह संदेश गया कि यह सरकार किसी ना किसी रूप में भष्ट्राचार के मामलों में शामिल होती दिख रही है।
– भूपेश सरकार का मुख्य फोकस छत्तीसगढ़ी संस्कृति और किसान रहे हैं। कांग्रेस शहरी क्षेत्रों के विकास कार्यों से दूर रही है। बरुण सखाजी कहते हैं कि निर्माण के स्तर पर कांग्रेस सरकार ने ऐसा कुछ भी नहीं किया जिसे बताया या दिखाया जा सके। सरकार लगातार छत्तीगसढ़ वाद पर केंद्रित रही। कई सारे सरकारी कार्यक्रमों में छत्तीसगढ़ के त्योहारों को धूम-धाम से मनाया गया। लेकिन कांग्रेस का फोकस कभी भी विकास कार्यों में नहीं दिखा।
-कांग्रेस सरकार खेमों में बंटी नजर आई। मुक्तिबोध कहते हैं कि टीएस सिंह देव और भूपेश बघेल के बीच में खटपट है यह बात कोई सीक्रेट नहीं थी। ढाई-ढाई साल मुख्यमंत्री पद को लेकर शुरू हुआ विवाद आखिरी के दो साल तक सरकार को दो गुटों में स्पष्ट रुप से बांट चुका था। टीएस और भूपेश में नहीं बनती यह बात कांग्रेस में जगजाहिर थी। टिकट वितरण में भी यह मनमुटाव दिखा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के चेहरे को सामने रखकर चुनाव लड़ा
छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के चेहरे को सामने रखकर चुनाव लड़ा था. जिसका फायदा पार्टी को मिला. बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कहा कि ‘‘ छत्तीसगढ़ की जनता ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को खारिज कर दिया है.” छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में पार्टी के शीर्ष नेताओं की भूमिका की सराहना करते हुए सिंह ने कहा, ‘‘राज्य के लोगों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यों और गारंटी में विश्वास दिखाया है. प्रधानमंत्री मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने छत्तीसगढ़ में (चुनाव प्रचार) पर्याप्त समय दिया है.