रायपुर। इन दिनों कोविड-19 को लेकर लोगों में कई भ्रांतियां हैं। लोगों के मन में यह दुविधा बनी रहती है कि क्या तथ्य मानें, क्या नहीं। आंबेडकर अस्पताल में रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग की डॉ. देवी ज्योति ने बताया कि शुरुआती लक्षणों की उपेक्षा और देर से निदान होने पर कोविड-19 संबंधित जटिलताओं के होने की संभावना बढ़ जाती है, जिसके परिणामस्वरूप मृत्यु भी हो सकती है।
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अगर किसी मरीज में कोरोना के हल्के लक्षण हैं तो उसे तुरंत डॉक्टर से परामर्श कर कोरोना परीक्षण कराना चाहिए। यह दवाओं को जल्दी शुरू करने की अनुमति देता है और जटिलताओं को रोकने व संभवतः एक अनमोल जीवन को बचाने में अहम भूमिका निभा सकता है। कोरोना जांच तीन प्रकार से की जाती है। आरटीपीसीआर टेस्ट में नाक और मुंह से नमूने लिए जाते हैं। ट्रू-नाट टेस्ट में नाक से नमूने और रैपिड एंटीजन टेस्ट से भी नाक से नमूने लिए जाते हैं।
एंटीबॉडी परीक्षण केवल निगरानी के लिए उपयोगी
डॉ. देवी ज्योति ने बताया कि रैपिड एंटीबॉडी परीक्षण रक्त के नमूने से किया जाता है। रोग के निदान के लिए सरकार द्वारा अनुशंसित नहीं किया जाता है। यह केवल सर्वेक्षण और महामारी विज्ञान के उद्देश्यों के लिए है। लोगों को संक्रमण और बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए सभी दिशा-निर्देशों का पालन करना चाहिए।
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छत्तीसगढ़ में गुरुवार को पहली बार एक साथ 5,226 कोरोना मरीज स्वस्थ हुए हैं। वहीं संक्रमित मिलने के मामले में भी आज फिर रिकॉर्ड टूटा है। एक दिन में 3,809 कोरोना संक्रमितों की पहचान और 17 की मौत हुई है। बता दें कि पूरे राज्य में अब तक 77775 लोग इस संक्रामक बीमारी की चपेट में आ चुके हैं। इनमें से 32430 मरीज स्वस्थ्य होकर अस्पताल से अपने घर लौट चुके हैं और 36036 मरीज राज्य के विभिन्न कोविड अस्पतालों में अपना उपचार करा रहे हैं। राज्य में अब तक कुल 628 लोगों ने इस संक्रामक बीमारी की वजह से अपनी जान गंवाई है।