रायपुर। नशे का अवैध कारोबार करने वाले सबसे पहले इलाके के थानेदारों को विश्वास में लेते हैं, जिसका सीधा अर्थ कमीशन ही होता है, इसके बाद बेखौफ होकर इस गोरखधंधे को अंजाम दिया जाता है। जाहिर है कि थानेदार की जेब कड़क होगी, तो स्टाॅफ को भी अंशदान मिल ही जाएगा, उसके बाद धंधा चाहे गंदा क्यों ना हो, बड़े आराम से फल-फूल सकता है।
थानेदार अपनी दुकान चलाने चलते रहे, इसलिए मौका देखकर अपने बड़े अफसरों का मान-मनौव्वल कर लेते हैं। वैसे भी सबसे बड़ा रुपैया, आज का आचरण बन गया है। सालों से यही काम चला आ रहा है, तभी थानेदार भी ऐसी जगहों से तबादला नहीं चाहते, लिहाजा इन गोरखधंधों पर ना केवल पर्दा डाले रखते हैं, बल्कि अब तो पूरी तालपत्री भी खुद ही खरीद कर डाल देते हैं।
पर छत्तीसगढ़ में अब पुलिस के मुखिया यानी डीजीपी साहब ने ऐसा डंडा घुमाया है, कि सिपाही से लेकर थानेदार और उनके बड़े अफसरों के भी पसीने छूटने लगे हैं। डीजीपी डीएम अवस्थी ने बेहद साफ लब्जों में समझा दिया है कि जिस इलाके में नशे का कारोबार नजर भी आया, तो इसकी जवाबदारी उस इलाके के थानेदार और उनके स्टाफ की होगी। उनको जवाब देना होगा कि कैसे इस गोरखधंधा को अंजाम दिया जा रहा है।
अब जब थानेदार पर बात आएगी, तो उनके वरिष्ठ अफसर भी अपने आपको कहां तक बचा पाएंगे। और बड़ी बात यह है कि डीजीपी ने इन गोरखधंधों के खुलासे के लिए अपनी अलग से एक सर्विलांस टीम भी हर थाना क्षेत्र में तैनात कर दी है, तो फिर थानेदारों को संभलकर रहना पड़ेगा और नशे के कारोबारियों को प्यार से हो या दुलार से, पर सलाखों के भीतर डालना होगा।
अफसर-स्टाफ देंगे जवाब शराब और दूसरे तरह के नशे का कारोबार पता चला तो थाना स्तर पर स्टाफ की जांच होगी। टीआई की भूमिका सामने आने पर सीधे निलंबन की कार्रवाई होगी। सुपरविजन अफसर से भी जवाब-तलब करेंगे।
– डीएम अवस्थी, डीजीपी, छग