भारत की एक और बड़ी कूटनीतिक जीत हुई है. दरअसल, कतर में मौत की सजा पाने वाले भारतीय नौसेना के आठ पूर्व जवानों को दोहा की एक अदालत ने रिहा कर दिया है. विदेश मंत्रालय (एमईए) ने सोमवार (12 फरवरी) को एक बयान में कहा कि आठ भारतीय नागरिकों में से सात भारत भी लौट चुके हैं.
आपको बता दे नई दिल्ली के राजनयिक हस्तक्षेप के बाद मौत की सजा को जेल की सजा में बदल दिया था। दोहा स्थित अल दहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज के साथ काम करने वाले भारतीय नौसेना के आठ पूर्व जवानों को पिछले साल 28 दिसंबर को कतर की अपील अदालत ने राहत दी थी. तब अदालत ने अक्टूबर 2023 में इन्हें दी गई मौत की सजा को कम करते हुए तीन साल से लेकर 25 साल तक की अलग-अलग अवधि के लिए जेल की सजा सुनाई थी.
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भारत सरकार ने लगातार की कोशिश
जब इन लोगों को मौत की सजा सुनाई गई थी, तब भारत ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी. सरकार ने इनकी मदद के लिए सभी कानूनी विकल्पों पर विचार करने का वादा किया था. भारत सरकार ने मौत की सजा के खिलाफ कतर की अपील अदालत का रुख किया था. 28 दिसंबर को कतर की अपील अदालत ने मौत की सजा को कम कर दिया और उन्हें जेल की सजा सुनाई. विदेश मंत्रालय ने इनके परिवार वालों को आश्वासन दिया था कि वह सभी राजनयिक तरीकों को अपनाते हुए इन सभी को वापस लाएगा. सोमवार (12 फरवरी) को केंद्र सरकार ने एक आधिकारिक बयान जारी कर इन सभी 8 भारतीयों को रिहा करने की जानकारी दी. विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा “भारत सरकार दाहरा ग्लोबल कंपनी के लिए काम करने वाले आठ भारतीय नागरिकों की रिहाई का स्वागत करती है
पीएम मोदी को कहा थैंक्स
कतर से भारत लौटे इन पूर्व नौसैनिकों ने अपनी रिहाई के लिए पीएम का शुक्रिया अदा किया. उन्होंने कहा कि, हमने अपने वतन वापस लौटने के लिए करीब 18 महीने तक इंतजार किया. हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बेहद आभारी हैं. यह उनके व्यक्तिगत हस्तक्षेप और कतर के साथ उनके समीकरणों-संबंधों के बिना संभव नहीं होता. हम भारत सरकार की ओर से किए गए हर प्रयास के लिए तहेदिल से शुक्रगुजार हैं
लगा था जासूरी का आरोप
जानकारी के मुताबिक, पूर्णेंदु तिवारी को 25 साल की जेल की सजा दी गई थी, जबकि रागेश को तीन साल की सजा दी गई थी. उन्होंने कहा कि नौसेना के चार पूर्व अधिकारियों को 15 साल की जेल की सजा दी गई थी और दो अन्य को 10 साल की जेल की सजा दी गई थी. इन लोगों पर जासूसी का आरोप लगाया गया था. हालांकि कतरी और भारतीय अधिकारियों दोनों ने उनके खिलाफ लगे आरोपों के बारे में विस्तार से कुछ भी नहीं बताया है.