बाबरी ढांचे को गिराए जाने के 28 साल बाद इस मामले में बुधवार को फैसला आया। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने कहा कि इस फैसले में यह साफ किया गया है यह विध्वंश नहीं था, बल्कि स्वाभाविक प्रतिक्रिया का परिणाम था। उन्होंने कहा कि दो बड़े फैसले आए, एक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने माना कि वहां राम मंदिर था, बाद में एक स्ट्रक्चर बना दिया गया। 300 साल से जो संघर्ष हुआ इसकी जीत है, मामला करोड़ों लोगों की भावना से था। यह फैसला स्वागत योग्य है।
करोड़ों लोगों के विश्वास की जीत
बाबरी मामले में फैसले के बाद भाजपा प्रदेशाध्यक्ष विष्णुदेव साय ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि 28 साल तक जिन्हें आरोपी माना गया, आज उन सभी को बाइज्जत न्यायालय से बरी किया जाना, इस बात को प्रतिपादित करता है कि जो हुआ था वह दुर्भावना का परिणाम नहीं था। उन्होंने कहा कि यह भारत के उन करोड़ों लोगों के विश्वास की जीत है, जो रामलला के मंदिर के इंतजार में बैठे हैं।
दूध का दूध और पानी का पानी हुआ
नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि सभी वरिष्ठ नेताओं को आरोपी बनाया गया। सारे तथ्यों के आधार पर फैसला आया । जिस प्रकार से 28 सालों तक केस चला सारे सबूत आए और सत्य की जीत हुई, दूध का दूध और पानी का पानी हो गया । दरअसल बाबरी मस्जिद ढांचा ढहाए जाने के 265 दिन बाद मामले की जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंपा गया। उसे पता करना था कि किसने साजिश रची, किसने ढांचा गिराया। सीबीआई टीम करीब 3 साल जांच करती रही। फिर सीबीआई के स्पेशल कोर्ट में ही सुनवाई शुरू हुई। आखिरकार 30 सितंबर को फैसला आ गया। बाबरी से सब बरी कर दिए गए।