रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि स्वामी आत्मानंद ने पीड़ित मानवता की सेवा का संदेश दिया। उन्होंने अपने कार्यों से स्वामी रामकृष्ण परमहंस की भावधारा को धरातल पर साकार किया। बघेल ने कहा कि स्वामी रामकृष्ण परमहंस की भावधारा के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान दिया। रामकृष्ण परमहंस के शिष्य स्वामी विवेकानंद ने रामकृष्ण भवधारा को पूरे देश में फैलाया और अनेक मठ बनवाए। स्वामी विवेकानंद के बाद स्वामी आत्मानंद ने ही सबसे ज्यादा आश्रम और मठ बनवाए। मुख्यमंत्री आज दुर्ग जिले के पाटन तहसील मुख्यालय में आयोजित स्वामी आत्मानंद जयंती समारोह को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित कर रहे थे। इसके पहले बघेल ने अपने निवास कार्यालय में स्वामी आत्मानंद के चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस अवसर पर प्रदेश में धरसा विकास योजना जल्द शुरू करने की घोषणा की। इस योजना से गांवों में धरसा के कच्चे रास्ते को पक्का किया जाएगा। उन्होंने कहा कि धरसा निर्माण योजना तैयार करने के लिए पंचायत, राजस्व और लोक निर्माण विभाग के सचिवों की समिति बनाई जाएगी। इसी प्रकार उन्होंने राज्य में खोले जा रहे इंग्लिश मीडियम स्कूलों का संचालन स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल योजना के तहत करने की घोषणा की। उन्होंने कहा है कि जिन स्कूलों के नामकरण महापुरूषों के नाम पर किया गया है। उन स्कूलों के नाम यथावत रखे जाएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने कोलकत्ता के बाद सर्वाधिक समय रायपुर में व्यतीत किया। अपने रायपुर प्रवास के दौरान वे जिस भवन में रहे उस भवन में स्वामी विवेकानंद की स्मृति में अंतर्राष्ट्रीय स्तर का स्मारक बनाया जाएगा। इस अवसर पर कृषि मंत्री रविन्द्र चैबे, सहकारिता मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम, नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ. शिव कुमार डहरिया, मुख्यमंत्री के सलाहकार प्रदीप शर्मा, मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू, मुख्यमंत्री के सचिव सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेशी उपस्थित थे।
सीएम ने कहा कि स्वामी आत्मानंद को हम एक समाज सुधारक और शिक्षाविद् के रूप में देखते हैं। उन्होंने उनके रायपुर आश्रम और उत्कृष्ट लाईब्रेरी बनायी। खेल-कूद में भी उनकी रूचि थी। पंचायती राज संस्थाओं के प्रचार-प्रसार में भी उन्होंने योगदान दिया। दूसरी बार आश्रम बनाने के लिए एकत्र राशि भी 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के समय बांग्लादेश से आए शरणार्थियों को बस्तर अंचल में पाखांजूर, रायपुर के माना और धरमजयगढ़ कैम्प में बसाने के लिए खर्च कर दी। स्वामी आत्मानंद पीड़ित मानवता की सेवा को सबसे बड़ा धर्म मानते थे। उन्होंने हमारे सामने इसके उदाहरण प्रस्तुत किए। उनका मानना था कि सेवा का कार्य पहले हो मंदिर निर्माण बाद में किया जा सकता है। पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी के अनुरोध पर उन्होंने नारायणपुर के अबूझमाड़ में आदिवासी बच्चों की शिक्षा के लिए आश्रम की स्थापना की। उन्होंने यहां स्वास्थ्य तथा फसलों के क्रय-विक्रय की व्यवस्था कराई। स्वामी आत्मानंद ने छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, ओडिसा, गुजरात सहित विभिन्न स्थानों पर आश्रमों और मठों की स्थापना करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
DECLARATION : स्वामी आत्मानंद के नाम पर संचालित होंगे… सरकारी इंग्लिश मीडियम स्कूल… सीएम ने जयंती पर किया ऐलान
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