वीवीपैट की 100 प्रतिशत पर्चियों के मिलान किए जाने की मांग वाली याचिका पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने सुनवाई की. सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान प्रशांत भूषण ने कहा कि या तो बैलेट से वोट देने का अधिकार दिया जा सकता है या वीवीपैट में जो पर्ची है उसे मतदाताओं को दी जाए
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जस्टिस खन्ना ने कहा कि यहां कुल रजिस्टर्ड मतदाताओं की संख्या 97 करोड़ है. हम सभी जानते हैं कि बैलेट पेपर के आने पर क्या हुआ था? हो सकता है कि आपको पता हो लेकिन हम भूले नहीं हैं. वैसे भी हमने आपके तीन समाधान सुन लिए हैं. हम इस पर अभी बहस नहीं करना चाहते हैं. वकील संजय हेगड़े ने मांग की कि ईवीएम पर पड़े वोटों का मिलान वीवीपीएटी पर्चियों से किया जाना चाहिए. जस्टिस खन्ना ने कहा कि क्या 60 करोड़ वीवीपीएटी पर्चियों की गिनती होनी चाहिए? वकील गोपाल शंकर नारायण ने कहा कि चुनाव आयोग का कहना है कि सभी वीवीपीएटी पर्चियों की गिनती में 12 दिन लगेंगे.
क्या है वीवीपैट से जुड़ा मामला?
वीवीपैट पर्ची वोटर्स को यह सक्षम बनाता है कि वोट सही डाला गया। वह जिस प्रत्याशी का समर्थन करता है उसे गया है या नहीं। वीवीपैट से एक कागज की पर्ची निकलती है। जिसे सीलबंद लिफाफे में सुरक्षित रखा जाता है। ईवीएम मतदान प्रणाली के बारे में विपक्ष के सवालो के बीच याचिका में मतदान के क्रॉस वेरिफिकेशन की मांग की गई। यह याचिका एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स और कार्यकर्ता अरुण कुमार अग्रवाल द्वारा दायर की गई है। अरुण ने वीवीपैट पर्चियों की गिनती की मांग की है।