रायगढ़। Ramlala Janmotsav: रायगढ़ शहर की पुरानी बस्ती के रामगुड़ी पारा स्थिति राम मंदिर में रामलला का जन्मोत्सव हर्षोल्लास से मनाया गया। 121 बरस पुराने इस राम मंदिर में भजन-कीर्तन के साथ विशेष आरती कर प्रसाद वितरण किया गया।
पंडित अशोक शर्मा ने राम मंदिर रामगुड़ी पारा के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए बताया कि यह मंदिर स्वर्गीय बिहारी बेहार, ग्राम पेन्डरूवा (वर्तमान तहसील डभरा, जिला, जान्जगीर-चाम्पा) के द्वारा मन्दिर का नीव 1902 में डाला गया था। उनकी मृत्यु होने के बाद उनके पुत्र स्वर्गीय बनमाली बेहार ने मंदिर निर्माण करवाया। राम मंदिर 1903 में निर्मित हुआ। रियासत कालीन राजा बहादुर सिंह भगवान के प्राण प्रतिष्ठा के साक्षी थे। बनमाली बेहार की पुत्री चंदा देवी के पुत्र स्वर्गीय हुलास राम मिश्रा द्वारा प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम संपन्न हुआ था।
महानीम से बनी है राम दरबार की प्रतिमा
मंदिर में जो मूर्ति है वह जीवंत है और महानीम की लकड़ी से निर्मित है। इसे ओडिशा के जगन्नाथ पुरी से बैलगाडी में लाया गया। मूर्ति को 100 साल से भी अधिक हो गया है। मूर्ति में हर दो साल में आयल पेंट होता रहता है। हिन्दू शास्त्र के अनुसार कोई भी प्रतिष्ठित मूर्ति को सच्चिदानंद मूर्ति कहा जाता है, न कि काष्ठ, सोना या कोई धातु का।
1935 में रजिस्टर्ड हुआ
सन 1971 मे राम मंदिर ट्रस्ट बना। इसके प्रथम अध्यक्ष स्व. त्रिलोकीनाथ तिवारी और द्वितीय अध्यक्ष स्व. किशोरी मोहन त्रिपाठी थे तो तृतीय अध्यक्ष स्व. विद्याधर मिश्रा (एडवोकेट), चतुर्थ अध्यक्ष स्व. डीडी मिश्रा (एडवोकेट), पंचम अध्यक्ष स्व.दिनेश श्रीवास्तव (एडवोकेट) रहे। वर्तमान में राम मंदिर के अध्यक्ष संतोष मिश्रा (एडवोकेट) हैं और प्रबंधक में अशोक मिश्रा तथा विवेक मिश्रा हैं। इसी तरह ट्रस्टियों में डॉ. प्रकाश मिश्रा, अधिवक्ता अशोक मिश्रा व मनोज मिश्रा हैं।
साल में मनाया जाता है दो उत्सव
प्राचीन राम मंदिर में सालभर में दो उत्सव को विशेष तौर पर मनाए जाने की परंपरा है। इसमें श्री रामनवमीं (राम जन्मोत्सव) और श्री कृष्ण जन्माष्टमी (श्री कृष्ण जन्मोत्सव) शामिल है। इसके अलावा प्रतिदिन भगवान को अन्न भोग (भात दाल सब्जी ) लगाया जाता है। राम मंदिर का कुल क्षेत्रफल 2000 स्क्वायर फीट और पीछे मैदान 4200 स्क्वायर फीट का है।