हाथरस जाते समय मांट टोल प्लाजा पर पकड़े गए सीएफआई के चार सदस्यों के संपर्कों को खुफिया एजेंसियां तलाश रही हैं। इनसे बरामद छह स्मार्टफोन से मिले नंबरों को भी खंगाला जा रहा है। सीएफआई (कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया) की सक्रियता देश के विश्वविद्यालयों में बताई जा रही है। इस कारण दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू), जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) और अलीगढ़ मुस्मिल विश्वविद्यालय (एएमयू) में चारों के संपर्क पता किए जा रहे हैं। खुफिया विभाग की टीमें मांट थाने से भी इस संबंध में लगातार जानकारी ले रही हैं।
हाथरस कांड में दंगे की साजिश का खुलासा करते समय शासन स्तर पर पीएफआई (पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया) और इसके सहयोगी संगठन सीएफआई की भूमिका भी संदिग्ध बताई गई। पांच अक्तूबर को मांट टोल प्लाजा पर स्विफ्ट कार में चार संदिग्ध पकड़े गए तो उक्त दोनों संगठनों से इनके संबंधों को पुलिस ने उजागर किया। चारों को शांतिभंग की आशंका में जेल भेजने के बाद इनसे बरामद लैपटॉप और छह स्मार्टफोन की जांच की गई।
सूत्रों के अनुसार युवाओं में सीएफआई की सक्रियता होने के कारण विश्वविद्यालयों में इनके संपर्क तलाशे जा रहे हैं। पिछले दिनों दिल्ली और एएमयू में सीएए (नागरिकता संशोधन कानून) को लेकर हुए विरोध प्रदर्शन में इनकी कितनी सक्रियता रही, इसका भी पता लगाया जा रहा है।
सीएफआई के चारों सदस्यों की गिरफ्तारी के बाद से ही एटीएस, आईबी, मिलिट्री इंटेलिजेंस की सक्रियता जिले में है। एलआईयू और क्राइम ब्रांच के साथ जिले की पुलिस टीमें भी जांच में सहयोग कर रही हैं। केरल निवासी सिद्दीक एक पोर्टल का पत्रकार है, जबकि मुजफ्फरनगर निवासी अतीकुर्रहमान और बहराइच निवासी मसूद अहमद रिसर्च स्कॉलर बताए जाते हैं। अतीकुर्रहमान और मसूद के संपर्क उत्तर भारत के विश्वविद्यालयों में भी हैं। वहीं चौथा सदस्य आलम रामपुर का निवासी है।
एसएसपी डॉ. गौरव ग्रोवर ने बताया कि मांट टोल प्लाजा से गिरफ्तार किए गए चार संदिग्धों के संबंध पीएफआई और सीएफआई से पता चले थे। इनसे बरामद लैपटॉप और छह स्मार्टफोन की जांच पुलिस और खुफिया एजेंसियां कर रही हैं। इसके माध्यम से उक्त चारों लोगों के संपर्क और संबंधों की जानकारी ली जा रही है।