रायपुर। छत्तीसगढ़ शासन में संसदीय सचिव विकास उपाध्याय , विधायक आशीष छाबड़ा और रामकुमार यादव ने आज एक संयुक्त बयान जारी कर आरोप लगाया कि भाजपा अपने शासन काल में चाहे केन्द्र सरकार से संबंधित रहा हो या फिर राज्य से। जब भी कोई बड़ी घटना इनके शासन काल में घटित होता है तो बदनामी से बचने इनकी एक ही दलील रहती है कि सरकार की छवि खराब करने के लिए एक अन्तर्राष्ट्रीय साजिश होने का नाम दे दिया जाता है और भाजपा एवं उनके नेता ऐसा कर आपराधिक साजिश (120B) और राजद्रोह (124A) जैसी धाराओं का खुला उल्लंघन तो कर ही रहे हैं, बल्कि इनके द्वारा इसका खुला दुरूपयोग भी किया जा रहा है।
संसदीय सचिव विकास उपाध्याय ,विधायक आशीष छाबड़ा और रामकुमार यादव ने आज एक बयान जारी कर ऐसे कई मामलों का खुलासा कर भारतीय जनता पार्टी के कार्य प्रणाली पर सवालिया निशाना लगाते हुए घेरने का प्रयास किया है। उन्होंने उत्तर प्रदेश के चर्चीत हाथरस में एक दलीत लड़की और उसके परिवार के साथ हुए अपराध पर कहा इस घटना की गूंज पूरे भारत में होने के बाद जब संयुक्त राष्ट्र तक ने इस पर चिंता प्रकट कर दी तो यूपी की योगी सरकार अचानक से उस दिशा में क्यों चली गयी कि उसे यह कहना पड़ा राज्य में जातिय दंगे भड़काने और मुख्यमंत्री योगी सरकार की छवि खराब करने के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय साजिश रची जा रही थी।
कांग्रेस विधायकों ने सवाल किया कि पीड़िता का रात में ढाई बजे दाहसंस्कार करना भी क्या इस साजिश का हिस्सा था? मृत पीड़िता को घर वालों को न सौंपना, उनके मृत चेहरे को घर वालों को न दिखाना भी क्या इस साजिश का हिस्सा था? और तब तक मुख्यमंत्री योगी मौन क्यों थ? क्या इस दौरान वे इस कार्य में व्यस्त थे कि इस पूरी घटना का मनगढ़त कहानी रची जा सके ताकि दूसरों पर सारा दोष मढ़ दिया जाये।
उन्होंने कहा दरअसल ऐसा नहीं है, बल्कि भाजपा के नियंत्रण में जहाँ भी सरकारें हैं या वहाँ की प्रशासन उनके नियंत्रण में हैं, उन सभी जगहों व घटनाओं को लेकर भाजपा का एक मात्र एजेंडा अब तक एक ही रहा है कि उसे अंतर्राष्ट्रीय साजिश करार दे दिया जाए। ये बात और है कि इस तरह के साजिश में आज तक किसी अंतर्राष्ट्रीय गिरोह से जूड़े होने का किसी का नाम नहीं आया, बस इतना हुआ कि इस आड़ में भाजपा अपनी नाकामियों को छुपाने मीडिया का सहारा लेकर कामियाब रही। उन्होंने इस तरह की घटनाओं का सिलसिले वार जिक्र करते हुए कहा,
जेएनयू का मामला – दिल्ली पुलीस ने फरवरी 2016 के चर्चीत इस मामले में भी साजिश की बात की और वहाँ भी इन्हीं धाराओं का इस्तेमाल किया। वीदित हो कि दिल्ली पुलीस केन्द्र के अधीन अर्थात् मोदी के नियंत्रण में काम करती है। दूसरा उदाहरण उन्होंने दिया प्रधानमंत्री की हत्या की साजिश- साल 2017-18 के एल्गार परीसर मामले को भी पुलीस ने आपराधिक षड़यंत्र और देशद्रोह का मामला बताया और इन्हीं धाराओं का इस्तेमाल किया गया। दिल्ली दंगा- दिल्ली पुलीस ने इस साल हुए दंगों को एक सुनियोजित साजिश करार दिया है। उन्होंने 16 सितम्बर को अपनी हजारों पन्नों के आरोप पत्र में 15 लोगों के खिलाफ जो धाराएँ लगाई उसमें भी आपराधिक साजिश रचने और देशद्रोह की धाराएँ शामिल हैं। केजरीवाल मुख्य सचिव मामला – 2018 में दिल्ली के तत्कालीन मुख्य सचिव अंशु प्रकाश ने आरोप लगाया था कि 19-20 फरवरी की रात को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के घर पर मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की मौजुदगी में कुछ विधायकों ने उनके साथ कथित रूप से मार-पीट की थी। इस घटना को भी पुलीस ने साजिश करार दिया था और बाद में 1300 पन्नों की जो चार्जशीट दायर की और उसमें केजरीवाल सिसोदिया सहित अन्य 11 विधायकों के खिलाफ जो धाराएँ लगाई गयी उनमें भी आपराधिक साजिश का मामला शामिल था।
विधायकों ने आगे कहा कांग्रेस नेता चिदंबरम मामला – पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम को भी पिछले साल जब मोदी के नेतृत्व वाली सी.बी.आई. ने आई.एन.एक्स. मीडिया मामले में गिरफ्तार किया था तो उनके खिलाफ भी आपराधिक साजिश की धारा लगाई गई थी। चर्चा के दौरान पत्रकारों को नेताओं ने यह भी बताया कि उस समय दिल्ली हाईकोर्ट में उनके वकील कपिल सिब्बल ने चिदंबरम की ओर से सवाल पूछा था कि ये मेरे खिलाफ आपराधिक साजिश का आरोप क्यों लगाया गया? मैं ने किसके साथ मिलकर साजिश की है! और उसका भी नतीजा आप सबके सामने है, चिदंबरम कोर्ट से बरी हो गये।
विकास उपाध्याय, आशीष छाबड़ा और रामकुमार यादव ने कहा यू.पी. में इससे पहले भी कुछ घटनाएँ ऐसी हो चुकी है, जिनके तुल पकड़ने के बाद उनके अंतर्राष्ट्रीय तार से जोड़ने की कोशिश की गई। कांग्रेस नेताओं ने इस बात पर हैरानी व्यक्त की है कि स्थानीय घटनाओं में अंतर्राष्ट्रीय साजिश की बात कहाँ तक सही हो सकती है। उन्होंने कहा प्रवर्तन निदेशालय के हवाले से मीडिया में लगातार खबरें चलाई जा रही हैं कि इस घटना को अंजाम देने माॅरिशस के जरिये करीब 100 करोड़ रूपये की फंडींग हुई है। हालांकि इसके न तो पुख्ता सबूत मिले हैं और न ही आधिकारिक रूप से इसकी पुष्टि हुई है। इस पूरे मामले को यदि गंभीरता से समझा जाये तो आप देखेंगे भारतीय जनता पार्टी देश की स्वच्छ राजनीति को किस दिशा में ले जा रही है। इसे पूरे देश को समझना होगा।