नई दिल्ली | Saffron Color Ink: चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए पोलिंग बूथ पर वोटर्स की उंगली पर स्याही लगाई जाती है। इसी स्याही को दिखाकर अक्सर लोग मतदान के बाद सेल्फी लेते हैं। अपने मत का प्रयोग कर चुके लोगों की उंगली में इस स्याही को लगाया जाता है, ताकि वह मतदाता दोबारा वोट न डाल सके। लेकिन एक मिनट, आखिर इसी स्याही को क्यों लगाते हैं। इसके पीछे एक बड़ा कारण है, दरअसल इस स्याही को लगाने के बाद उंगली से इसका रंग कई दिनों तक नहीं जाता है। यही कारण है कि इस स्याही को का इस्तेमाल कर फर्जी वोटरों से बचा जाता है।
यह स्याही भारत के तेलंगाना के हैदराबाद और कर्नाटक के मैसूर में बनाई जाती है। स्याही का प्रारंभिक रंग बैंगनी होता है, लेकिन समय के साथ यह काले रंग में बदल जाती है।
इस स्याही का उपयोग भारत समेत 9 से अधिक देशों में किया जाता है, जहां इसका रंग बैंगनी होता है। हालांकि, एक देश ऐसा भी है जहां चुनाव में उपयोग की जाने वाली स्याही का रंग भगवा होता है। यह विशेष रंग इस देश की चुनावी प्रक्रिया की पहचान बन चुका है।
किस देश में लगाई जाती है भगवा स्याही?
बता दें कि चुनाव में भगवा कलर की स्याही दक्षिण अमेरिकी देश सूरीनाम नाम में किया जाता है. यहां पिछले दो दशकों से चुनावों में भगवा रंग की चुनाव स्याही इस्तेमाल हो रहा है. पहले यहां बैंगनी स्याही का इस्तेमाल होता था, लेकिन 2005 में सूरीनाम विधान सभा चुनाव के लिए मतदाताओं की उंगलियों को चिह्नित करने के लिए बैंगनी की जगह नारंगी स्याही का इस्तेमाल किया गया. यह कलर वोटर्स को भी काफी पसंद आया था.