दिल्ली। कोविड-19 संकट के बीच जैसे-तैसे चल रही भारतीय रेलवे के पहिये पूरी तरह रुक सकते हैं. दरअसल, अपनी लंबित मांगों को लेकर रेलवे कर्मचारियों ने देशभर में रेल हड़ताल करने का ऐलान किया है. भारतीय रेलवे कर्मचारियों की बड़ी यूनियन नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन रेलवेमैन (एनएफआईआर) ने मंगलवार को इसकी घोषणा की.
एनएफआईआर के महामंत्री डॉ. एम रघुवईया ने मंगलवार को कहा कि कोरोना संकट के बीच 13 लाख रेल कर्मचारी अपनी जिंदगी को दांव पर लगाकर दिन-रात मेहनत कर भारतीय रेल को चला रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद भारत सरकार रेल कर्मचारियों की लंबित मांगों को पूरा नहीं कर रही.
उनके अनुसार, देशभर में रेलकर्मचारियों का करीब 2000 करोड़ रुपये बोनस पेंडिंग पड़ा है, जिसका भुगतान सरकार की ओर से रेल कर्मचारियों को अभी तक नहीं किया गया है. यहां तक की कोरोना काल में रेलवे ऑपरेशन को सुचारू रखने के लिए रेल कर्मी काम कर रहे हैं, जिससे कोविड 19 संक्रमण के चलते अभी तक करीब 300 रेल कर्मचारी मर चुके हैं. इन रेलवेकर्मियों के परिवारों को उचित मुआवजा दिया जाना चाहिए.
रघुवईया ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी में कहा था कि भारतीय रेलवे नवरत्न है, लेकिन आज इसी नवरत्न के निजीकरण का काम चल रहा है. रेलवे परिचालन को प्राइवेट हाथों में दिया जा रहा है. एनएफआईआर इसे बिल्कुल स्वीकार नहीं करेगा.
उन्होंने कहा कि दशहरे से पहले रेलवे कर्मियों के बोनस का भुगतान किया जाना चाहिए. रघुवईया ने बताया कि बीते 11 अक्टूबर को हमारी रेल मंत्री से मीटिंग हुई, जिसमें रेलवे कर्मचारियों की सारी बातों को रखा गया.. लेकिन अगर हमारी मांगों को नहीं माना गया तो जल्द ही देशभर में रेलवे कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल करने को मजबूर होंगे.