बीजापुर। CG NEWS : नक्सल प्रभावित वो क्षेत्र जहां कभी नक्सलियों के खिलाफ जन जागरण का बिगुल बजा था, जिस आज़ादी के लिए आदिवासी समुदाय नक्सल के ख़िलाफ़ खड़ा हो गया था, उसी इलाके के पूरे गाँव ने तहसीलदार पर वनाधिकारी पट्टा दिलाने के नाम पर रिश्वत लेने का आरोप लगाया है। ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि तहसीलदार साहब डराने धमकाने से भी नहीं हिचकते, आकलंका से आये 80 से ज़्यादा पीड़ित ग्रामीणों को विधायक का समर्थन मिला है। प्रेस वार्ता कर विधायक ने तहसीलदार पर गंभीर आरोप लगाये हैं।
ग्रामीणों ने बताया कि अक्टूबर- नवम्बर महीने में तहसीलदार वीरेंद्र श्रीवास्तव ने वनाधिकारी पट्टा जल्दी दिलाने के नाम से प्रति व्यक्ति 1200 रुपये की लागत से 96000 हज़ार रुपये लिये। 6 महीने बाद भी वनाधिकार पट्टा नहीं मिलने से ग्रामीणों में आक्रोश है। गोलमोल जवाब दे रहे तहसीलदार के ख़िलाफ़ ग्रामीणों ने विधायक से समर्थन माँगा। ग्रामीणों के साथ विधायक ने कलेक्टर से मुलाक़ात की।
इस मामले में तहसीलदार वीरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि मुझ पर लग रहे सभी आरोप गलत हैं। क्यों ग्रामीण 7-8 महीने बाद मुझ पर आरोप लगा रहे हैं। सोमा चिड़ियम पर मेरे द्वारा कार्रवाई करने के बाद मुझ पर ऐसे आरोप लगाये जा रहे हैं। वनाधिकार पट्टा दिलाने के नाम पर पैसे लेने का आरोप मुझे बदनाम करने के लिए लगाया जा रहा है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद मैंने झोपड़ी तोड़ने की कार्रवाई की है। मुझ पर कार्रवाई नहीं करने का दबाव डाला गया, लेकिन मैंने माननीय न्यायालय के आदेश का पालन किया है।