पंचायत की सोच और विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में वृक्षारोपण की आधुनिक तकनीको के उपयोग कर मनरेगा श्रमिकों ने सवा दो साल की कड़ी मेहनत से जुर्डा गाँव की पाँच एकड़ बंजर जमीन को हरा-भरे उपवन मे तब्दील कर दिया है। यह क्षेत्र सघन वृक्षों के कारण आज महात्मा गांधी ऑक्सीजोन के नाम से जाना जाता है।
ग्राम पंचायत ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना तथा जिला खनिज संस्थान न्यास (डी.एम.एफ.) की निधियों के तालमेल (अभिसरण)से गाँव की खाली जमीन पर दो साल पहले मिश्रित प्रजातियों के लगभग 72 हजार पौधे लगाए थे। अब ये पौधे पेड़ बन चुके हैं और कुछ में फल भी आने लगे हैं। इस वृक्षारोपण ने खाली पड़ी और लगभग अतिक्रमण का शिकार हो चुकी जमीन को मुक्त कर हरियाली की चादर से ढंक दिया है। इस हरियाली से आस-पास का पर्यावरण भी सुधर रहा है।
औद्योगिक शहर और रायगढ़ जिला मुख्यालय से करीब सात किलोमीटर की दूरी पर स्थित जुर्डा गाँव दो साल पहले तक रायगढ़ विकासखण्ड के अन्य गाँवों की तरह एक सामान्य गाँव था, किन्तु आज यह पर्यावरण सुधार के क्षेत्र में मिसाल के तौर पर जाना जाता है। ग्राम पंचायत के तत्कालीन सरपंच और पर्यावरण-प्रेमी जयंत किशोर प्रधान इस संबंध में बताते हैं कि शहर से नजदीक होने के कारण यहाँ औद्योगिक प्रदूषण और अतिक्रमण, दोनों बढने लगे थे। इसलिए जमीन को सुरक्षित रखने के लिए पंचायत ने यहाँ वृक्षारोपण का प्रस्ताव रखा था, जिस पर मई 2018 में जिला पंचायत से अभिसरण के तहत प्रशासकीय स्वीकृति प्राप्त हुई।
प्रधान आगे बताते हैं कि पौधरोपण को सफल बनाने के लिए पूरे प्रक्षेत्र की भूमि को वर्मी कम्पोस्ट डालकर उसे उपजाऊ बनाया गया। सभी पौधों को गौ-मूत्र से उपचारित कर रोपा गया तथा मिट्टी को पत्तों और धान के पैरा से ढका गया। मनरेगा से 2,453 मानव दिवस का रोजगार प्राप्त हुआ। पौधों की सुरक्षा के लिए फेंसिग का कार्य तथा नियमित सिंचाई की व्यवस्था की गई। इस वृक्षारोपण की खास बात यह है कि इसमें जापान देश की पौधरोपण की मियावाकी तकनीक का उपयोग किया गया है।
ग्राम रोजगार सहायिका सीमा राठिया कहती हैं कि यहाँ एक प्राकृतिक तालाब भी है, जिसका सौंदर्यीकरण और गहरीकरण पंचायत ने कराया था। इसके पानी से उपवन के आस-पास की भूमि को नमी मिलती है और भू-जल भी रिचार्ज होता है। उद्यान का स्वरुप देने हेतु यहाँ बैठने के लिए बेंच भी लगाई गई हैं। पेड़ों की देखभाल और यहाँ स्थापित अधोसंरचना के रख-रखाव के लिए 2 व्यक्तियों को रखा गया है। आज की तिथि में यहाँ चेरी सहित अन्य पेड़ों में फल आने शुरु हो गए हैं। वहीं पीपल और नीम जैसे पेड़ों के कारण वायु में ऑक्सीजन का स्तर बढ़ गया है। बंजर भूमि की बदली इस तस्वीर ने जिले के साथ-साथ प्रदेश और पड़ोसी राज्यों को भी पर्यावरण संरक्षण को लेकर काफी प्रभावित किया है।