जांजगीर विवेक शुक्ला (IPS) पुलिस अधीक्षक जिला जांजगीर-चाम्पा ने पावर पाइंट प्रजेन्टेशन (पीपीटी) के माध्यम से नवीन कानून के संबंध में विस्तृत जानकारी देकर बताया कि नवीन भारतीय न्याय संहिता 01 जुलाई 2024 से लागू हो जाएंगे। इसका उद्देश्य आम जनता को त्वरित रूप से न्याय दिलाकर राहत प्रदान करना है. इसलिए नवीन कानून के बारे में सभी पुलिस अधिकारियों एवम सभी जनता को जानकारी होना बहुत आवश्यक है।
अपराधियों के लिए नए कानून में गंभीर सजा का प्रावधान किया गया है। मॉब लिचिंग BNS की धारा 103 (1) IPC धारा 302 हत्त्या के लिए दण्ड के संबंध में, गैर इरादतन हत्या जो हत्या की श्रेणी में नहीं आती है, के लिए सजा BNS के धारा 105 एवं IPC धारा 304 निर्धारित सजा, यदि आरोपी पुलिस को मामले की रिपोर्ट करता है और पीडित को चिकित्सा उपचार के लिए अस्पताल ले जाता है तो कम सजा होती है के संबंध में, विवेचना जांच दौरान ली जाने वाली तलाशी के संबंध में विस्तृत जानकारी दी गई। नये कानून में दण्ड से न्याय की ओर ले जाने के लिए तथा %महिला एवं बच्चो से संबंधित कानून को संवेदनशील बनाया गया है तथा महिला एवं बच्चो से संबंधित अपराध में कठोर दण्ड का प्रावधान किया गया है। नये कानून में संगठित अपराध को परिभाषित करते हुए कठोर दण्ड का प्रावधान किया गया है। पुलिस अधीक्षक जांजगीर द्वारा आस्वस्त किया गया कि नये कानून में पुलिस आम जनता की मदद करेगी तथा उनमें जागरूकता लायेगी।
भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 को अधिसूचित किया गया
सहायक लोक अभियोजन अधिकारी सोनु अग्रवाल ने कार्यशाला में उपस्थित लोगो को बताया गया कि भारतीय दण्ड संहिता 1860 के स्थान पर भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 के स्थान पर भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 के स्थान पर भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 को अधिसूचित किया गया है। उक्त सभी कानूनों के उपबंध 01 जुलाई 2024 को या उसके बाद घटित होने वाले अपराधों पर ही लागू होंगे। इन नए कानूनों का उद्देश्य औपनिवेशिक कानूनों में बदलाव, नागरिक केन्द्रित, अभियुक्त केन्द्रित, पीडित केन्द्रित कानून एवं कल्याणकारी अवधारणा, अभियोजन को मजबूती प्रदान करना, न्याय को नागरिक अनुकूल बनाना, उचित नियंत्रण और संतुलन के साथ पुलिस का सामंजस्यपूर्ण बनाना, प्रक्रियाओं की सरलता एवं संक्षिप्त ट्रायल को सरल बनाना, अनुसंधान में वैज्ञानिक तकनीक (फोरेसिक), डिजीटल एवं इलेक्ट्रानिक साक्ष्य के प्रावधान के साथ समयबद्ध प्रक्रिया का पालन किया जाना है। नए कानूनों में पुराने प्रचलित संहिताओं की धारा संख्यामें परिवर्तन के साथ कई स्थानों में परिभाषाओं और प्रक्रियाओं में समयानुकूल परिवर्तन किए गए है। जिससे कानूनी प्रक्रिया सरल हो।