Hari Mirch Ki Kheti: जैसे ही बरसात का मौसम आता है, किसानों के लिए खेती में कुछ चुनौतियाँ और अवसर दोनों ही सामने आते हैं। हरी मिर्च की खेती इस मौसम में विशेष रूप से फायदेमंद हो सकती है, यदि सही तकनीकों का उपयोग किया जाए। हरी मिर्च की खेती के लिए सबसे पहले उपयुक्त भूमि का चयन करना आवश्यक है। भूमि का चयन करते समय ध्यान दें कि वह अच्छी जल निकासी वाली हो। मिट्टी की जांच करवा लें ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उसमें उचित मात्रा में पोषक तत्व मौजूद हैं।
“बरसात में हरी मिर्च की खेती के लिए सबसे महत्वपूर्ण है बीज की गुणवत्ता। उच्च गुणवत्ता वाले बीज चुनें और उन्हें रोगों से मुक्त रखें। इसके अलावा, बीज को बोने से पहले उन्हें फफूंद नाशक से उपचारित करें।”
बीज की बुवाई करते समय ध्यान दें कि उन्हें उचित दूरी पर बोया जाए। पौधों के बीच की दूरी लगभग 45-60 सेंटीमीटर होनी चाहिए, जिससे उन्हें बढ़ने के लिए पर्याप्त स्थान मिल सके। बरसात के मौसम में मिट्टी का नमी स्तर अधिक होता है, इसलिए सिंचाई की आवश्यकता कम होती है। लेकिन पानी की निकासी का ध्यान रखना आवश्यक है ताकि जल जमाव न हो।
“पौधों की वृद्धि के दौरान निराई-गुड़ाई करते रहें ताकि जड़ों को उचित ऑक्सीजन मिल सके और खरपतवारों से बचाव हो सके। इसके अलावा, जैविक खाद और उर्वरकों का उपयोग करें ताकि पौधों को आवश्यक पोषक तत्व मिल सकें।” हरी मिर्च की फसल को कीटों और बीमारियों से बचाने के लिए नियमित निरीक्षण करें और आवश्यकता अनुसार जैविक कीटनाशकों का उपयोग करें।