इस्लामी कैलेंडर का पहला महीना मुहर्रम है, जिसे मुहर्रम-उल-हराम के नाम से भी जानते हैं. यह इस्लाम के चार पवित्र महीनों में से एक है. मुहर्रम पैगंबर मुहम्मद के नवासे हजरत इमाम हुसैन की मृत्यु के शोक का महीना है. इस दिन शिया समुदाय के लोग मातम मनाते हैं.
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इस्लामिक कैलेंडर में मुहर्रम साल का पहला महीना होता है. इस्लाम में साल के चार महीने मुहर्रम, रजब, ज़ुल-हिज्जा, ज़ुल-क़ादाह माह को बाकी महीनों पर श्रेष्ठता दी गई है. मुहर्रम का शाब्दिक अर्थ है मनाही. कुरान और हदीस के अनुसार, मुहर्रम के महीने में युद्ध या लड़ाई-झगड़ा करना निषिद्ध है. इस पवित्र महीने के समय मुसलमानों को अधिक से अधिक इबादत करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है. इस महीने की शुद्धता के कारण अनेकों लोग विश्वभर में इस महीने में रोजा यानी उपवास रखते हैं. इस्लामिक इतिहास के अनुसार, मुहर्रम के महीने में कई बड़ी घटनाएं हुई हैं लेकिन उन सब में सबसे बड़ी और दुखद घटना थी हज़रत मुहम्मद साहब के नवासे हज़रत इमाम हुसैन इब्न अली और उनके परिवार का कर्बला के मैदान में निर्ममता से हुआ संहार।
मुस्लिम त्य़ोहार केवल चांद पर आधारित
मुस्लिम त्योहार चांद पर आधारित होता है वैसे तो आशूरा 17 जुलाई को है लेकिन मुस्लिम त्य़ोहार केवल चांद पर आधारित होता है इसलिए इसकी अधिकारिक घोषणा आज शाम होगी।
‘हजरत इमाम हुसैन’ ने इस्लाम की रक्षा के लिए अपने प्राण न्यौछावर किए
इमाम हुसैन ने धर्म की रक्षा के लिए अपनी कुर्बानी दी ‘हजरत इमाम हुसैन’ ने इस्लाम की रक्षा के लिए अपने प्राण न्यौछावर किए थे, इसी कारण ये दिन उनकी शहादत का दिन है। इतिहास के मुताबिक इराक में यजीद नाम का एक क्रूर शासक था, जो खुद को खुदा मानता था। वो चाहता था कि इमाम हुसैन भी उसे ही ईश्वर माने लेकिन इमाम हुसैन ने ऐसा करने से मना कर दिया, जिसके बाद यजीद ने उन पर काफी जुल्म किए लेकिन वो इमाम हुसैन के इरादों को टस से मस ना कर सका और इसके बाद यजीद और इमाम हुसैन के बीच जंग छिड़ गई। कर्बला में हुसैन साहब 72 मित्रों संग शहीद हुए थे धर्मयुद्ध की इस लड़ाई में कर्बला में हुसैन साहब 72 मित्रों संग शहीद हुए थे। जिस महीने हुसैन शहीद हुए थे वो ‘मुहर्रम’ का महीना था और तब से ही ये गम का महीना बन गया।
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