देवभोग में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत मजदूरों की जगह बच्चों से काम करवाया जा रहा है। इस मामले के सामने आने के बाद अब जिम्मेदार अब तक हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। वहीं बच्चे चंद पैसों के खातिर अपना बचपन खराब कर रहे हैं।
इन तस्वीरों को देखकर आप सोच रहे होंगे कि आखिर ऐसी कौन सी मुसीबत आन पड़ी कि जिन हाथों में कापी किताबें होनी चाहिए उनकी जगह इन औजारों ने ले ली। ये तस्वीरें सूपेबेड़ा तक पहुंचने वाले उस रास्ते की है जो प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बनाई जा रही है। लेकिन इस काम में मजदूरों की जगह ठेकेदार गांव के ही नाबालिग बच्चों से मजदूरी का काम ले रहा है । ताकि मजदूरी कम देनी पड़े औऱ ज्यादा पैसे ठेकेदार अपनी जेब में डाल ले।स्कूल बंद होने से बच्चे घर पर ही रहते हैं। लिहाजा उनके माता पिता ने भी कुछ रुपय़ों की आस में उन्हें इस काम के लिए मना नहीं किया। अब जब इसकी शिकायत एसडीएम से की गई तो उन्होंने कार्रवाई का भरोसा दिलाया है।सड़क बनाने जैसे कठिन काम के लिए बच्चों को मजदूर बनाना कहां तक सही है। क्योंकि यदि यहां कोई हादसा होता है तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा।