रायपुर। GRAND NEWS : छत्तीसगढ़ की राजधानी का एक ऐसा स्कूल जहां अमीर और गरीब बच्चों में भेदभाव किया जाता है, जी हाँ हम बात कर रहे है रायपुर के नरदाहा ग्राम पंचायत में स्थित एनएच गोयल वर्ल्ड क्लास स्कूल की, यहां अमीरों के बच्चों के लिए अलग बिल्डिंग है तो वहीं गरीबों के बच्चों के लिए अलग बिल्डिंग है। वहीं इस स्कूल में अमीर के बच्चे सामने बने बड़े भव्य गेट से एंट्री लेते हैं, जबकि गरीब के बच्चे स्कूल के पीछे बने छोटे गेट से एंट्री लेते हैं। इस अद्भुत स्कूल के मालिक है सुरेश गोयल, जो अपने काले कारनामों के चलते जाने जाते है।
एनएच गोयल वर्ल्ड क्लास स्कूल के प्रबंधन की सोच थर्ड क्लास से भी गई गुजरी है। यहां (शिक्षा का अधिकार) आरटीई के बच्चों को सालों से आम बच्चों से अलग पढ़ाया जाता है। उनके लिए अलग से जेडी ब्लॉक बनवा रखा है और तो और उनके एंट्री के लिए स्कूल के पीछे अलग गेट भी बनवा रखा है। इन्हें आम बच्चों की तरह सामने के गेट से एंट्री नहीं मिलती। इससे आप शिक्षा के अधिकार के तहत बच्चों की इस स्कूल में हो रही पढ़ाई के स्तर का अंदाजा लगाया सकते हैं। वहीं आम बच्चे और आरटीई से पढ़ने वाले बच्चों के बीच मतभेद भी पैदा कर रहे हैं।
स्कूल प्रबंधन के द्वारा बच्चों के साथ भेदभाव करने की पुष्टि स्कूल में पढ़ रहे बच्चों के पालक कर रहे है, वहीं यह भी जानकारी सामने आई कि फ़ीस भरने वाले बच्चे अलग और गरीब मजदूर और आरटीई के बच्चें अलग बिल्डिंग में पढ़ते है, इन बच्चों को जिस बिल्डिंग में पढाया जाता है उस बिल्डिंग को जेडी कहा जाता है। बताते है कि इस बिल्डिंग में स्कूल के मजदुर स्टाफ, गांव के स्थानिय गरीब आर.टी.ई से चयनित बच्चों को पढ़ाया जाता है। इसके बच्चो के माता पिता ने कहा कि फीस देने वाले बच्चों से उनके बच्चों की सारी व्यवस्थाएं अलग है।
यह है आर.टी.ई. का नियम
शिक्षा का अधिकार (अधिनियम 2009) अधिनियम की धारा 12 की उपधारा (1) के खण्ड (ग) के अनुसार प्रवेश दिए गए छात्र को न तो कक्षाओं में अन्य बालकों से पृथ्क किया जायेगा, न ही उनकी कक्षाएं अन्य छात्रों के लिए आयोजित कक्षाओं से भिन्न स्थानों और समय पर आयोजित की जायेगी।
स्कूल में पढ़ रहे बच्चों के पलकों ने इस बात की पुष्टि की है कि स्कूल स्टाफ-मजदूर और गांव के गरीब बच्चें सहित आर.टी.ई के बच्चों के बिल्डिंग अन्य आम (फीस देने वाले) बच्चों से अलग है। यह कथित समाजसेवी सुरेश गोयल के अनुदारता का ही उदहारण है जो गरीबों को कुछ भी नहीं समझते और उनके लिए अपने मन में घृणा भाव रखते है।