मुंबई पुलिस के लिए रिया चक्रवर्ती फिल्म अभिनेत्री हैं मगर इंदौर में रिया का मतलब एमडीएमए या (मिथाइलीनडाईऑक्सी मेथैमफेटामाइन) है। इस नशीले पदार्थ को सामान्य बोलचाल में एमडी या म्याऊं-म्याऊं भी कहा जाता है। इसका सेवन करने वाले लोग पेडलर को रिया के नाम से ऑर्डर देते हैं। तस्करों के ये कोडवर्ड नारकोटिक्स विंग ने डी- कोड किए हैं। एजेंसी का दावा है कि रिया चक्रवर्ती का ड्रग्स केस में नाम आने के बाद उसके नाम से यह ड्रग्स बेचा जा रहा है।
नारकोटिक्स विंग ने रिया यानी एमडी के अलावा भी गांजा, चरस, अफीम जैसे अन्य मादक पदार्थो के नामों को डी-कोड किया है। सूत्रों के मुताबिक तस्कर ब्राउन शुगर को चॉकलेट, चरस को हरा व अफीम को काला के नाम से बेच रहे हैं। ब्राउन शुगर गहरे भूरे रंग की होती है इसलिए चॉकलेट नाम दिया है। गांजा को घास-फूस, पुडि़या, माल और टिकट व नग के नाम से मांगा जाता है। रिया (एमडी) की ज्यादातर खपत पबों और फॉर्म हाउसों पर होने लगी है। जबकि घासफूस (गांजा) ढाबों और चाय की छोटी दुकानों पर आसानी से उपलब्ध है।
आठ महीने में 612 केस पकड़े
पुलिस ने एक जनवरी, 2020 से 13 अगस्त के बीच मादक पदार्थो की खरीद-फरोख्त व सेवन के 574 केस दर्ज किए हैं। जबकि नारकोटिक्स विंग के रिकॉर्ड में 38 मामले दर्ज हो चुके हैं जिनमें 92 लोगों को आरोपित बनाया गया है। पुलिस का दावा है कि ज्यादातर मामलों में पकड़े गए पेडलर नशेड़ी थे। गांजा, अफीम, एमडी और चरस का सेवन करते हुए तस्करी करने लगे थे। इसमें अधिकतर प्रतिबंधित गोलियों का सेवन करने वाले हैं। मंदसौर-प्रतापगढ़ से अफीम और ओडिशा से आ रहा गांजा नारकोटिक्स विंग ने तस्करों के रूट को भी चि-ित किया है। इसमें जानकारी मिली कि अफीम मंदसौर, नीमच व राजस्थान के प्रतापगढ़, भवानी मंडी क्षेत्र से आती है। जबकि गांजा ओडिशा से आता है। हालांकि अब मध्य प्रदेश के सेंधवा, सोनकच्छ, खरगोन, खड़गवानी, बालसमुंद भी गढ़ बन गए हैं। खड़गवानी के मेवाती समुदाय के कुछ लोग कंटेनर के माध्यम से गांजा लेकर आते हैं जिसे छोटे पेडलरों को सप्लाई कर देते हैं।
कोडवर्ड में नशा सप्लाई
इंदौर में एसपी नारकोटिक्स गीतेश गर्ग का कहना है कि नारकोटिक्स की तस्करों पर नजर तस्करों द्वारा कोडवर्ड में नशा सप्लाई करने की जानकारी मिली है। हमारी टीम की पेडलर व सेवन करने वालों पर नजर है।