रायगढ़ | CG BIG BREAKING: पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के सरकारी मेडिकल कॉलेज में एक महिला डॉक्टर से दुष्कर्म और हत्या की घटना को लेकर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के आवाहन पर देशभर में मेडिकल सेक्टर में हड़ताल रही। कोरबा के सरकारी जिला अस्पताल में भर्ती 52 वर्षीय आशा भुलर की मौत इसी हड़ताल के चक्कर में हो गई। कागजी खानापूर्ति के नाम से परिजन यहां वहां भटकते रहे। आखिरकार हालत बिगड़ने से महिला की सांस थम गई। इस मामले में एक बार फिर संवेदनहीनता को उजागर कर दिया।
कोलकाता की दिवंगत महिला डॉक्टर से दुष्कर्म और हत्या के मामले में दोषियों को फांसी की सजा देने की मांग देश भर से उठी है । इंडियन मेडिकल एसोसिएशन सुरक्षा और कई अन्य पहलुओं को लेकर हड़ताल करते हुए अपनी बात रख रहा है। इस प्रदर्शन के दौरान कोरबा के जिला अस्पताल में भरती की गई सीतामढ़ी क्षेत्र के निवासी आशा भुल्लर हमेशा के लिए शांत हो गई। आयुष्मान कार्ड से उसका उपचार यहां पर कराया जा रहा था। शनिवार को कुछ जांच के लिए औपचारिकता की जा रही थी। खबर के अनुसार जिस डॉक्टर क्या हस्ताक्षर संबंधित फाइल में जरूरी थे वह अपने केबिन में ही नहीं थे। इससे मामला उलझ गया। बार-बार चक्कर लगाने के बाद युवक ने धरना प्रदर्शन कर रहे डॉक्टर से बातचीत की और अपनी मां की स्थिति का वास्ता देते हुए उपचार करने की बात की। इस दौरान कोई हल तो नहीं निकला लेकिन दोनों पक्षों में काफी नोकझोंक हो गई।
इस घटना के कुछ देर बाद ही आशा भुल्लर का इस दुनिया से नाता टूट गया जो काफी नाजुक स्थिति में थी और उसे बचाने के लिए परिजन मशक्कत कर रहे थे। उनका आरोप है कि अगर हड़ताल के बावजूद जिला अस्पताल के डॉक्टर मानवीय आधार पर आगे आते तो मरीज को बचाया जाना संभव हो सकता था। कहीं अवसर पर अलग-अलग कारण से होने वाले प्रदर्शन के दौरान इस प्रकार की स्थिति निर्मित हो जाती है जब मरीज को सही समय पर उपचार देने में परेशानी होती है और फिर जीवन दान के लिए कोई विकल्प शेष नहीं रहता। सवाल इसी बात का है कि कोरबा में जो कुछ हुआ उसकी जवाब दे ही आखिर कैसे तय की जाएगी