देश में आरक्षण को लेकर बहस समाप्त नहीं हुई है। संविधान निर्माता डाॅ. बाबा साहब आंबेडकर ने जिस समय सीमा की बात की थी, उसे समाप्त हुए अरसा बीत चुका है और देश में आरक्षण का मुद्दा अब राजनीति का आधार बन गया है। इससे परे देश में कुछ लम्हों पर अब बहस इस बात पर हो रही है कि आरक्षण देने का आधार क्या होना चाहिए। आरक्षण जाति के आधार पर मिलना चाहिए या फिर इंसान की आर्थिक स्थिति को देखते हुए? अब इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर एक्ट्रेस कंगना रनौत ने अपनी राय रखी है।
कंगना ने सोशल मीडिया पर एक ट्वीट कर स्पष्ट कहा है कि आरक्षण हमेशा गरीबी के आधार पर मिलना चाहिए। उनकी नजरों में जाति के नाम पर आरक्षण देना ठीक नहीं है। वे लिखती हैं- आरक्षण तो हमेशा गरीबी को आधार बनाकर देना चाहिए। जाति के नाम पर आरक्षण नहीं होना चाहिए। मुझे पता है कि राजपूत समुदाय काफी तकलीफ में है, लेकिन ब्राह्मणों की स्थिति देख भी बहुत दुख होता है।
Reservations should be for the poor not based on cast system… I know how Rajputs are suffering but very sad to read about Brahmins … https://t.co/0Ds25qLiL0
— Kangana Ranaut (@KanganaTeam) October 24, 2020
अब कंगना रनौत ने अपने ट्वीट में दो बड़ी बाते कही हैं। एक तरफ तो उन्होंने आरक्षण को गरीबी के आधार पर देने की वकालत की है, तो वहीं दूसरी तरफ उन्होंने ब्राह्मणों की स्थिति पर चिंता जाहिर की है। अपने ट्वीट में कंगना ने ब्राह्मणों का जिक्र इसलिए किया है क्योंकि यूजर ने पोस्ट शेयर कर बताया है कि 55 प्रतिशत ब्राह्मण ऐसे हैं जो गरीबी रेखा से नीचे हैं। कंगना ने इससे पहले भी आरक्षण को लेकर बयान दिए हैं और हर बार उन बयानों पर बवाल भी होता दिखा है। इस बार भी सोशल मीडिया पर लोगों की राय बंट गई है। कई कंगना के विचारों से सहमत नजर आ रहे हैं, तो कई ऐसे भी हैं जिनकी नजरों में कंगना को आरक्षण के बारे में विस्तार से पढ़ना चाहिए।
जातिगत आरक्षण से फैला जहर
देश में विद्वानों का मानना है कि वर्तमान परिदृश्य में जातिगत आधार पर आरक्षण की वजह से देश में जहर फैल रहा है। ऐसा मानने वाले किसी धर्म, जाति अथवा समुदाय के समर्थकों में से नहीं, बल्कि देशहित की दिशा में सरकार को परामर्श देने वालों में शामिल लोग हैं। इनका यह भी कहना है कि देश को यदि विकासशील से विकसित और सामथ्र्यवान राष्ट्र बनाना है, तो आरक्षण को जातिगत आधार से हटाकर अब आर्थिक आधार करना आवश्यक हो गया है। राजनीतिक लाभ के लिए आरक्षण को इस तरह रबर की तरह खींचने से देश की व्यवस्था खतरे में पड़ती जा रही है।