दंतेवाड़ा। छत्तीसगढ़ के बस्तर में माओवाद के कब्जे से इंकार नहीं किया जा सकता। इनकी करतूतों की वजह से हर दिन निर्दोष काल की गाल में समा रहे हैं, लेकिन इस बीच आज की अच्छी खबर यह है कि चार लखपति माओवादियों के साथ कुल 32 लोगों ने हमेशा के लिए माओवाद की दहलीज को पार कर आत्मसमर्पण कर दिया है।
ऐसा आमतौर पर बहुत कम होता है, जब नक्सली विचारधारा से प्रभावित लोग दिशा बदलने का प्रयास करते हैं। इसके पीछे वजह जान का भय होता है। जैसे ही माओवादियों को भनक लगती है कि उनके पीछे आत्मसमर्पण की कोशिश हो रही है, वे उन लोगों को हमेशा के लिए जिंदा दफन कर देते हैं, या फिर दूसरे किसी बहाने से मौत के घाट उतार देते हैं।
चैंकाने वाली बात यह है कि इतनी सख्ती के बाद भी 32 माओवादियों ने खोखली विचारधारा को छोड़ने का साहस दिखाया और किसी तरह उस जंजाल से बाहर निकल आए, साथ ही आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा से जुड़ने का संकल्प कर लिया। आखिरकार वे दंतेवाड़ा पुलिस कप्तान अभिषेक पल्लव के समक्ष पहुंचे और समर्पण किया।
लखपति का तात्पर्य क्या है
आज समर्पण करने वाले चार माओवादियों को लखपति कहा गया है। दरअसल, इसका तात्पर्य यह है कि सरकार ने इन चार माओवादियों पर 1-1 लाख का इनाम रखा हुआ था। इनकी खबर देने वालों को इतनी रकम सरकार के द्वारा इनाम स्वरूप दी जाती। लिहाजा इन्हें लखपति कहा गया।