रायपुर। प्रदेश के किसानों के हित में नए कानून बनाने सरकार की ओर से बुलाए गए विशेष सत्र में चर्चा जारी है। कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे की ओर से सदन में कृषि उपज मंडी संशोधन विधेयक पेश करने के बाद इस पर चर्चा शुरु हुई। विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत ने सरकार का पक्ष और विपक्ष के सदस्यों की आपत्ति सुनी। छत्तीसगढ़ कृषि उपज मंडी संशोधन विधेयक 2020 को पुन: स्थापन की अनुमति दी। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल राज्य के कानून के पक्ष में अपनी बात रख रहे हैं। उन्होंने सदन में कहा कि केन्द्र की ओर से लाए गए कृषि कानून चिटफंड की तरह है। ये शुरुआत में अच्छा रहेगा, लेकिन बाद में बर्बाद कर देगा। केन्द्र ने केवल पूंजीपतियों के लिए कानून बनाया है। विशेष सत्र के पहले दिन आज कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे ने सदन में नए कानून को पेश किया। इसके बाद पक्ष और विपक्ष के मध्य कानून पर चर्चा शुरू हुई। विपक्ष ने कृषि विधेयक में बदलाव के लिए संशोधन और समय की मांग की। साथ ही इस पर आपत्ति जताई। इस पर मंत्री मोहम्मद अकबर ने स्पष्ट किया कि यह कानून केंद्र के कृषि कानून के खिलाफ नहीं हैं। कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने विपक्ष के विरोध पर कहा कि इस विधेयक में विज्ञापन की कोई जरूरत नहीं होगी। विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत ने भी इस पर कहा कि विधेयक में किसी विज्ञापन की जरूरत नहीं है।
कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे ने कहा- इस कानून पर पूरे देश की निगाहें
कृषि उपज मंडी संशोधन विधेयक पर चर्चा के दौरान कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे ने कहा कि इस कानून पर पूरे देश की निगाहें है। छत्तीसगढ़ के किसानों की मदद के लिए हम कानून बना रहे हैं। हमने मंडी का संशोधन विधेयक पेश किया है। हमने 7 बिंदुओं पर संशोधन किया है। हम किसानों को वाजिब कीमत दिलाना चाहते है। छत्तीसगढ़ के किसानों को इसका सीधा लाभ मिलेगा। मंडी कानून में आवश्यक संशोधन किया है। बड़ी कंपनियों को रोकने के लिए संशोधन को लाया गया है। किसानों के साथ किसी तरह का फ्राड ना हो सके ऐसा हमारा नया कृषि कानून है। हम 7 संशोधन लाए हैं। कोई भी संशोधन केंद्र के कानून के खिलाफ नहीं है। राज्य सरकार अपने संवैधानिक दायरे में रहते हुए ये कानून लेकर आई है।
रमन सिंह ने कहा- नए कृषि विधेयक का कोई औचित्य नहीं :
विधानसभा की कार्यवाही में विपक्ष ने राज्य के नए कृषि विधेयक को लेकर कड़ी आपत्ति जताई है। पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ़ कृषि उपज मंडी संशोधन विधेयक में वित्तीय ज्ञापन नहीं दिया गया है। यह अधूरा विधेयक लाकर छत्तीसगढ़ सरकार आखिर करना क्या चाहती है। इस नए कृषि विधेयक का कोई औचित्य नहीं है। भाजपा सदस्य बृजमोहन ने कहा कि यह विधेयक संविधान अनुरूप नहीं है। जवाब में खाद्य मंत्री ने कहा कि सरकार कृषि कानून बना सकती है। हमने संविधान के तहत छत्तीसगढ़ कृषि उपज मंडी संशोधन विधेयक पेश किया है।