वाशिंगटन । वैज्ञानिकों ने चांद की सतह पर पहले के अनुमान के मुकाबले अधिक मात्रा में पानी मौजूद होने की पहली बार पुष्टि की है। उनका कहना है कि जहां सीधे सूरज की रोशनी पहुंचती है वहां पर ये पानी मौजूद है। उनके मुताबिक इस पानी का इस्तेमाल भविष्य के मानव मिशन के लिए किया जा सकता है। साथ ही इसका उपयोग पीने और रॉकेट ईंधन उत्पादन के लिए भी किया जा सकता है। हालांकि पिछले शोध में चांद पर लाखों टन बर्फ के संकेत मिल चुके हैं जो कि इसके ध्रुवीय क्षेत्रों में स्थायी रूप से मौजूद है।
नए शोध पर यूनिवर्सिटी ऑफ कोलाराडो के वैज्ञानिकों की टीम के सदस्य पॉल हाइन का कहना है कि चांद पर 40 हजार वर्ग किलोमीटर से ज्यादा क्षेत्र में बर्फ के रूप में पानी होने की संभावना है। उनके मुताबिक यह पहले के अनुमान से 20 फीसदी ज्यादा है। इससे पहले सूरज की रोशनी पड़ने वाली सतह पर पानी की संभावना पर सुझाव दिए गए थे लेकिन पुष्टि नहीं की गई थी।
नासा के डायरेक्टरेट ऑफ साइंस में एस्ट्रोफिजिक्स डिपार्टमेंट के डायरेक्टर पॉल हर्ट्ज का कहना है कि उन्होंने कहा कि दक्षिणी गोलार्ध में स्थित सबसे बड़े गड्ढों में से एक क्लेवियस क्रेटर की सतह सख्त हो सकती है। मुमकिन है कि यहां पर यान के व्हीकल के पहिए और ड्रिल खराब हो जाए। गौरतलब है कि नासा पहले से ही 2024 में चांद की सतह पर एक पुरूष और पहली बार किसी महिला को भेजने की तैयारी में जुटा है। इस पूरी परियोजना पर 28 बिलियन डॉलर तक का अनुमानित खर्च हो सकता है। ताजा अध्ययन रोबोट्स और एस्ट्रॉनॉट्स की चांद पर संभावित लैंडिंग के स्थान को विस्तार देते हैं।