कोरबा। जिले में 12 पुराने और दो नये धान उपार्जन उप केन्द्रों (धान खरीदी केन्द्रों) को राज्य शासन द्वारा स्वतंत्र रूप से प्राथमिक सहकारी समितियों का दर्जा दे दिया गया है। खेती-किसानी के हिसाब से नयी समितियां बन जाने से किसानों को बड़ी राहत मिलेगी। चैदह नयी समितियों से अब क्षेत्र के किसानों को खेती-किसानी के लिये खाद, बीज, दवाई के साथ-साथ ऋण लेने और समर्थन मूल्य पर धान तथा मक्का बेचने की सुविधा भी गांव के पास ही मिलना शुरू हो जायेगी। राज्य शासन द्वारा सहकारी समितियों के पुनर्गठन की प्रक्रिया जुलाई महीने में शुरू की गई थी। कोरबा जिले में पहले मूल रूप से 27 सहकारी समितियां थी जो जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक की छह शाखाओं के आधीन किसानों को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने के लिये काम कर रहीं हैं। किसानों की सुविधा को ध्यान में रखकर इन 27 मूल समितियों से 15 उपकेन्द्रों को संबद्ध कर समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी की जा रही थी। चैदह नई प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियां बन जाने से जिले में अब 41 समितियां हो गयीं हैं। किसानों को अब आसानी से खेती के लिये खाद, बीज, दवा के लिये सुविधा बढ़ेगी साथ ही गांव के नजदीक ही वे अपनी धान-मक्का आदि फसलों को भी समर्थन मूल्य पर समितियों में बेच सकेंगे।
जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक के नोडल अधिका एस. के. जोशी ने बताया कि कृषि सहकारी समितियांे के पुनर्गठन के प्रस्ताव उप पंजीयक सहकारी समितियों द्वारा राज्य शासन को भेजे गये थे। समितियों के पुनर्गठन के लिये शासन द्वारा समिति के कार्यक्षेत्र में शामिल गांवो की दूरी, धान विक्रय करने वाले किसानों की संख्या आदि का निर्धारण कर अब जिले में 14 नई समितियां बना दी गयीं हैं। नयी समितियों के लिये पुनर्गठन प्रक्रिया के तहत प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजे गये थे। सहाकारिता विभाग द्वारा क्षेत्र के ग्रामीणों से दावा आपत्तियां ली गयीं थी। प्राप्त दावा आपत्तियों का निराकरण करने के बाद नयी समितियों के गठन की अधिसूचना राजपत्र में प्रकाशित कर दिया गया है। जिले के बारह पुराने उप धान खरीदी केन्द्रों मोरगा, पिपरिया, कोथारी, फरसवानी, कनकी, पटियापाली, तुमान, नवापारा, कोरबी, अखरापाली, तिलकेजा और बरपाली( जिल्गा) को नई प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों का दर्जा दिया गया है। इसी प्रकार जिले में दो नये धान उपार्जन केन्द्र पाली विकासखण्ड के निरधी और पोड़ी-उपरोड़ा विकासखण्ड के कुलरिया में भी इसी वर्ष से शुरू किये जा रहे हैं और उन्हंे भी प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों का दर्जा दिया गया है। वर्तमान में जिले में तीन उप धान खरीदी केन्द्र कार्यरत रहेंगे। इस वर्ष भी सुखरीकला समिति के आधीन उमरेली, करतला समिति के आधीन केरवाद्वारी और भैंसमा समिति के आधीन कुदुरमाल उप उपार्जन केन्द्रांे में किसानों से समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी की जायेगी।