हैलोवीन दुनिया के कई पश्चिमी देशों में मनाया जाता है। अब तो ये धीरे धीरे भारत के भी कुछ हिस्सों में मनाया जाने लगा है। कहा जा रहा है कि हैलोवीन की इस रात 31 अक्टूबर को चांद अपने नये अवतार में दिखेगा। दुनिया भर के खगोल शास्त्रियों में इस आकाशीय घटना को लेकर बहुत उत्साह है।
नेहरू तारामंडल के निदेशक अरविंद प्रांजपेय ने PTI से बताया कि 31 अक्टूबर की रात को आकाश में Blue Moon का नजारा दिखाई देगा। खगोल वैज्ञानिकों का कहना है कि 31 अक्टूबर की रात कोई भी टेलीस्कोप की मदद से ब्लू मून को देख सकता है। उन्होंने कहा कि खगोल विज्ञानी अध्ययन के लिए इस घटना को लेकर उत्सुक हैं।
अरविंद प्रांजपेय ने बताया कि बीते एक अक्टूबर को पूर्णिमा थी और अब दूसरी पूर्णिमा 31 अक्टूबर को पड़ रही है। अमूमन ब्लू मून पीले और सफेद दिखते हैं लेकिन कल चंद्रमा सबसे अलग दिखाई देगा। इसे वैज्ञानिक दृष्टि से काफी खास माना जा रहा है। कई खगोलशास्त्रियों का कहना है कि ये घटना 76 साल बाद हो रही है।
वैसे तो ब्लू मून एक असामान्य घटना है जो कि हर दो या तीन साल में देखने को मिलती है, लेकिन वर्ष 2020 में दिखने वाले इस नीले चंद्रमा को दोबारा देखने के लिए 2039 तक का इंतजार करना पड़ेगा। ‘ब्लू मून’ अर्थात ‘नीला चांद’ कहलाने वाला यह दुर्लभ नजारा लोगों के लिए काफी खास होगा। नासा की ओर से मिली जानकारी के अनुसार अधिकांश ब्लू मून पीले और सफेद दिखते हैं, लेकिन ये चंद्रमा उन सभी से हटकर होगा जो अभी तक देखे गए हैं। कैलेंडर के महीने में बदलाव होने पर दूसरी पूर्णिमा के चंद्रमा के भौतिक गुणों (आकार प्रकार) में बदलाव नहीं होता है, इसलिए इसका रंग एक ही रहता है।
ये ब्लू मून मासिक यानी कैलेंडर के आधार पर होगा। 31 अक्टूबर, 2020 को पूर्णिमा है यानी इस दिन पूरा चांद दिखाई देगा। वैसे अक्टूबर के महीने में दो पूर्ण चंद्रमा निर्धारित हैं, लेकिन इसमें बाद का यानी 31 अक्टूबर का पूर्ण चंद्रमा ब्लू मून के रूप में नजर आने लगेगा। खगोल वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि अगर 31 अक्टूबर की रात आसमान साफ रहेगा तो इस रात कोई भी टेलीस्कोप की मदद से ब्लू मून देख सकता है। इस खगोलीय घटना का साक्षी बनने के लिए नेहरू तारामंडल सहित कई खगोल वैज्ञानिक बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।
बता दें कि चंद्र मास की अवधि 29.531 दिनों अर्थात 29 दिन, 12 घंटे, 44 मिनट और 38 सेकंड की होती है, इसलिए एक ही महीने में दो बार पूर्णिमा होने के लिए पहली पूर्णिमा उस महीने की पहली या दूसरी तारीख को होनी चाहिए। ये 31 अक्टूबर को होने जा रहा है, इसलिए ये खगोलीय घटना खास मानी जा रही है। अगर आपको भी खगोलीय घटनाओं में रुचि है तो आज रात के इस दुर्लभ चांद का दीदार करना न भूलें।
Hello, after reading this awesome piece oof writing i aam ass well cheerful
to share my familiarity here wkth colleagues. https://Evolution.Org.ua/