सरगुजा। GRAND NEWS : समुचे भारतवर्ष में विजयादशमी दशहरा पर्व अश्विनी शुक्ल पक्ष के दसवीं तिथि को मनाया जाता है यह दस्तूर सदियों पुरानी रही है। वहीं सरगुजा जिले के लखनपुर में रियासत काल से एक रोज बाद एकादशी तिथि को दशहरा मनाये जाने की रवायत रही है। जनश्रुति से पता चलता है कि स्टेट जमाने से पहले जमींदारों के हुकुम पर नगर के प्राचीन राममंदिर ठाकुर बाड़ी परिसर में दुर्गा पूजा मनाये जाने की शुरुआत हुई थी। बाद में आजाद भारत से पहले सन् 1944 ईस्वी में बाजार पारा स्थित प्राचीन भवानी मंदिर परिसर में दुर्गा पूजा मनाया जाने लगा जो निरंतर जारी है। अतीत से वर्तमान तक के सफर में नजर डालें तो लखनपुर में विजयादशमी दशहरा पर्व एक रोज बाद मनाये जाने को लेकर आज भी भेद है।
नगर लखनपुर में एक रोज बाद विजयादशमी (दशहरा) पर्व मनाया जाता है इसके पीछे जो इतिहास है उसके बारे में राज परिवार के कुंवर रणविजय सिंह देव तथा स्थानीय कुछ जानकार बताते हैं कि विजयादशमी (दशहरा) के रोज लखनपुर राजघराने के लाल बहादुर माहेश्वरी प्रसाद सिंह देव का देहावसान हो गया था। जिसके चलते उस साल शारदीय नवरात्रि के मौके पर मनाया जाने वाला विजयादशमी दशहरा पर्व एक दिन बाद मनाया गया। तब से लखनपुर में एक रोज बाद दशहरा मनाने की चलन शुरू हो गई। जो पिढियो से साल दर साल निरंतर जारी है।
इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि दशहरा के रोज आसपास के सभी जमींदार सरगुजा रियासत के महाराजा के सम्मान में सलामी देने तथा नजराना पेश करने एवं दशहरा मनाने के नजरिए से पूरे लाव-लश्कर के साथ अम्बिकापुर जाया करते थे। इस वजह से भी लखनपुर में एक रोज बाद दशहरा बाद में मनाया जाता था।यह प्रथा आज भी जिंदा है। इन्हीं अलग अलग तथ्यों के बुनियाद पर लखनपुर में दशहरा मनाये जाने की परम्परा पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है।