वीरेंद्र सोनी/सरिया। CG NEWS : कहते हैं दृढ इच्छा शक्ति, कड़ी मेहनत, लगन के बल पर किया कुछ नहीं किया जा सकता। असंभव को संभव भी कर लोग अपनी पहचान बना लेते हैं। ऐसे ही एक किसान ने बंजर भूमि को उपजाऊ बना कर एक मिसाल पेश किया है। हम बात कर रहे हैं नवीन जिला सारंगढ़ बिलाईगढ़ अंतर्गत सरिया तहसील के ग्राम बार निवासी 67 वर्षीय रमेश पटेल का। इन्होंने असंभव कार्य को संभव कर कृषि के क्षेत्र में एक मिसाल पेश किया है।
सरिया बरमकेला मार्ग पर स्थित ग्राम छेवारीपाली के पास करीब 20 एकड़ बंजर भूमि जो बेकार पड़ा था। उस भूमि को रमेश पटेल ने दृढ इच्छा शक्ति कड़ी मेहनत, लगन के कारण उपजाऊ बनाकर आज एक उन्नत कृषक के रूप में कार्य कर रहा है। शिक्षित परिवार के होने के कारण घर के अन्य सदस्यों ने भी रमेश पटेल के कार्य में सहयोग कर रहे हैं। जिसके कारण बंजर भूमि आज देखने लायक है। अब लोग गैर परंपरागत खेती पर जोर दे रहे हैं। जिससे किसानों को नुकसान कम फायदा ज्यादा हो रहा है। ऐसे ही एक खेती है महोगनी के पेड़ों की। जिसे लगाने के बाद किसान कुछ वक्त के बाद मालामाल बन सकते हैं। जब खेती की बात होती है तो, आम तौर पर गेहूं, धान, आलू वगैरह पर आकर बात रुक जाती है। हालांकि बीते कुछ वक्त में खेती का यह अंदाज बदल चुका है। जिससे किसानों को नुकसान कम फायदा ज्यादा हो रहा है। सरिया क्षेत्र में पहली बार रमेश पटेल नामक किसान ने महोगनी के पेड़ों को तैयार करने के लिए बंजर भूमि का उपयोग किया। उन्होंने अपने बंजर भूमि में करीब 700 महोगनी के पेड़ लगाए हैं । 12 साल का समय लगता है इस पेड़ को परिपक्व होने में । यह पेड़ 200 फीट की ऊंचाई तक बढ़ते हैं। महोगनी के पेड़ काफी मजबूत होते हैं। इसका इस्तेमाल जहाज , गहने फर्नीचर, प्लाईवुड, मूर्तियां बनाने और सजावट के लिए किया जाता है। इसके अलावा महोगनी के पेड़ की पत्तियों में औषधीय गुण भी होते हैं। इससे कैंसर, ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों का लाभ हो सकता है। प्रगतिशील कृषक रमेश पटेल ने बताया कि महोगनी के पेड़ों से लकड़ी तो 12 साल में तैयार होती है। लेकिन 5 साल में वह बीज देते हैं। और यह बीज काफी महंगे होते हैं । मार्केट में इनकी कीमत 1000 रूपये प्रति किलो तक है। वहीं इसकी लकड़ी की कीमत भी महंगा होता है । इसके अलावा बीजों और पत्तो का उपयोग दवा बनाने में होता है। इसीलिए उन्होंने अपने बंजर भूमि में 700 महोगनी का पेड़ लगाए हैं।
रमेश पटेल ने यह भी बताया कि वह पूरी तरह से ऑर्गेनिक खेती करते हैं। चार भाइयों में एक रमेश रमेश पटेल के जिम्मे में खेती बाड़ी का काम है । वह संयुक्त परिवार में रहते हैं। तथा 120 एकड़ खेती की देखभाल स्वयं करते हैं । बताते हैं कि इंसान की जिद के आगे कुछ भी असंभव नहीं है । कुछ इसी तरह मुश्किल माने जाने वाले काम सरिया क्षेत्र के ग्राम बार निवासी रमेश पटेल ने सच कर दिखाया। वह पहले 12 एकड़ बंजर भूमि को कड़ी मेहनत कर उसे उपजाऊ भूमि में बदल दिया।