Diwali 2024: दीपावली का त्योहार न केवल रोशनी और खुशी का पर्व है, बल्कि यह सभी समाजों को एक साथ लाने वाला एक अद्भुत अवसर भी है। इस खास दिन, विभिन्न समुदाय अपनी अनूठी परंपराओं के साथ इस त्योहार का आनंद लेते हैं। आइए जानते हैं विभिन्न समाजों की दिवाली मनाने की खासियतें।
कायस्थ समाज
दिवाली की पूजा के बाद कायस्थ समाज में एक विशेष परंपरा होती है। यहां चांदी के सिक्के पर गुड़ और शुद्ध घी लगाकर माता लक्ष्मी की प्रतिमा के माथे पर लगाया जाता है। मान्यता है कि यदि वह सिक्का गिरता है, तो लक्ष्मी जी पूरे साल धन वर्षा का आशीर्वाद देती हैं।
जैन समाज
इस दिन जैन समाज मोक्ष निर्वाण दिवस मनाता है। 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर का मोक्ष कार्तिक अमावस्या पर हुआ था। जैन लोग इस दिन भगवान महावीर की पूजा करते हैं और निर्वाण लाडू चढ़ाते हैं।
सिख समाज
सिख समाज दिवाली को उनके 6वें गुरु हरगोविंद साहब की रिहाई के जश्न के रूप में मनाते हैं। गुरु जी की रिहाई की खुशी में दाता बंदी छोड़ दिवस मनाया जाता है।
गुजराती समाज
गुजरात में दिवाली पर माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा के साथ बही-खाता पूजन, जिसे चौपड़ा पूजन भी कहते हैं, की जाती है।
प्रजापति समाज
इस समाज में हर साल नई प्रतिमा बनाई जाती है। कुछ लोग कन्या के हाथों से पूजा घर में प्रतिमा रखते हैं, जबकि अन्य इसे मंदिर में दान करते हैं।
अग्रवाल समाज
इस दिन अग्रवाल समाज में माता लक्ष्मी की पूजा होती है, साथ ही श्रीयंत्र की पूजा और बही-खाता पूजन की परंपरा निभाई जाती है।
बंगाली समाज
बंगाल में दिवाली पर आमतौर पर माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है, लेकिन यहां मां काली की विशेष पूजा भी होती है। रातभर जागरण कर मंदिरों में दीप जलाए जाते हैं।
चौरसिया समाज
यहां लक्ष्मी पूजन में पान पत्ते की बेल चढ़ाने की परंपरा है, जिसे नागबेल माना जाता है। इस दौरान सुख-समृद्धि की कामना की जाती है।
मलयाली समाज
दीपावली पर मलयाली समाज में भगवान अय्यप्पा की पूजा की जाती है। घरों और मंदिरों में दीप जलाए जाते हैं और रंगोली सजाई जाती है।
बौद्ध समाज
बौद्ध समाज में दीपावली पर गौतम बुद्ध के प्रिय साथी अरहंत मुगलयान का निर्वाण मनाया जाता है। इस दिन बुद्ध वंदना कर दीप जलाए जाते हैं।