पटना | BIHAR CHHATH DIPAWALI: दिवाली और छठ के त्योहार पर हर साल की तरह इस बार भी बिहार लौटने वालों का रेला ट्रेनों में उमड़ पड़ा है। भीड़ का हाल ऐसा है कि यात्रियों को टॉयलेट के दरवाजे पर बैठकर सफर करना पड़ रहा है।
सामान बाहर, खुद अंदर का सफर: यात्रियों की मजबूरी ऐसी है कि कई लोग अपने सामान को ट्रेन के बाहर खिड़की से बांधकर बैठने को मजबूर हैं। पटना जंक्शन पर बुधवार को लोकमान्य तिलक ट्रेन का नजारा दिल दहलाने वाला था – यात्री ट्रेन के गेट पर लटककर सफर करने को मजबूर दिखे। मुंबई से आ रहे सनोज पासवान कहते हैं, “काम छोड़, जान जोखिम में डाल गांव जा रहे हैं ताकि त्यौहार मना सकें।”
हर बोगी में ठसाठस भीड़, सीट के लिए जद्दोजहद: जनरल से स्लीपर तक हर कोच में यात्री ठसे हुए हैं। गेट से भीतर घुस पाना भी मुश्किल है। पटना के सोनू बताते हैं, “भीड़ के डर से लोग कुछ खा-पी भी नहीं रहे, ताकि टॉयलेट जाने की नौबत न आए।”
महिला बोगियों में भी नहीं सुरक्षा: लोकल ट्रेनों में भी यात्रियों की सुरक्षा पर सवाल उठ रहे हैं। प्लेटफार्म नंबर 10 पर गया जाने वाली ट्रेन में सीट की होड़ में लोग जान जोखिम में डाल ट्रैक पार कर रहे हैं। महिला बोगियों में पुरुष यात्री भीड़ का फायदा उठाकर घुस रहे हैं, जिससे सुरक्षा मानकों की धज्जियां उड़ रही हैं।
त्यौहार के मौकों पर बिहार लौटने वाले प्रवासी यात्रियों की इस समस्या को कब तक अनदेखा किया जाएगा, यह एक बड़ा सवाल बन गया है।