दुर्ग। CG News : आज 30 अक्टूबर 2024 को प्रातः 9 बजे प्रथम वाहिनी छत्तीसगढ सशस्त्र बल भिलाई परेड ग्राउण्ड में “पुरूष ट्रेड आरक्षक (अकुशल) बुनियादी प्रशिक्षण सत्र 2024-25” का दीक्षांत समारोह संपन्न हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रामगोपाल गर्ग भापुले. पुलिस महानिरीक्षक, दुर्ग रेंज रहे। परेड द्वारा मुख्य अतिथि को सलामी दी गयी तत्पश्चात् उनके द्वारा परेड का निरीक्षण किया गया।
निरीक्षण पश्चात् राजेश कुकरेजा भापुसे, सेनानी, प्रथम वाहिनी छसबल भिलाई द्वारा प्रशिक्षणार्थियों को पुलिस आचरण संहिता के प्रति श्रद्धा रखने, अपने पदीय कर्तव्यों के दायित्वों का निर्वहन निष्ठापूर्वक करने तथा देशभक्ति, अनुशासन एवं कर्तव्यपरायणता व देश की अखण्डता को अक्षुण्ण रखने की शपथ दिलाई गई। राजेश कुकरेजा, सेनानी, प्रथम वाहिनी छसबल भिलाई द्वारा उपस्थित गणमान्य अतिथियों का अभिनन्दन करते हुए कहा कि प्रथम वाहिनी छसबल भिलाई की स्थापना भिलाई इस्पात संयंत्र में हुए उपद्रव के फलस्वरूप कानून-व्यवस्था ड्यूटी से निपटने के लिए किया गया था किन्तु इस दायित्व के साथ-साथ विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रमों के सफल संचालन के लिए भी वाहिनी का गौरवशाली इतिहास रहा है, और इसी कम में पुरुष ट्रेड आरक्षक (अकुशल) बुनियादी प्रशिक्षण 2024-25 में 94 पुरूष ट्रेड आरक्षक (अकुशल) को प्रशिक्षण प्रदान किया गया जो दिनांक 01.08.2024 से प्रारंभ होकर दिनांक 30.10.2024 को समाप्त हुआ।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रामगोपाल गर्ग नापुसे, पुलिस महानिरीक्षक, दुर्ग रेंज दुर्ग ने अपने संबोधन में कहा कि “ट्रेड आरक्षक, छत्तीसगढ़ राज्य पुलिस समेत सभी सुरक्षाबलों के प्रशासनिक इकाई के मेरूदंड होते हैं जिनकी वजह से पुलिस के जवान किसी भी परिस्थिति में प्रत्येक्ष क्षण अपनी कार्यवाई और अपनी जिम्मेदारी के लिए तैयार रहते हैं।” ट्रेड आरक्षक अपने सामान्य कर्तव्यों के साथ-साथ गार्ड ड्यूटी और परेड में भाग लेते हैं तथा विषय परिस्थितियों में अपने शस्त्र चालन और सुरक्षा संबंधी सीख का उपयोग कर सुरक्षा कार्य में महत्वपूर्ण भूमिका भी अदा करते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि इस प्रशिक्षण सत्र में 45 वर्ष से भी ऊपर आयुवर्ग के कर्मियों द्वारा अपना प्रशिक्षण कालखण्ड पूर्ण किया गया है जिससे यह वाक्य चरित्रार्थ होता है कि “सीखने की कोई उम्र नहीं होती है” जिस प्रकार मनुष्य उम्र के अंतिम पड़ाव तक हमेशा कुछ न कुछ शिक्षा प्राप्त करते रहता है उसी प्रकार वर्दीधारी बलों को भी अपने सेवाकाल के अंतिम पड़ाव तक हमेशा प्रशिक्षण के लिए तत्पर रहते हुए अपने व्यावसायिक दक्षताओं एवं क्षमताओं में वृद्धि करने हेतु निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए। प्रशिक्षण उपरांत ट्रेड आरक्षकों को पहले से अधिक शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत होने की बात कहते हुए उन्होंने कहा कि पुलिस का कोई भी वर्दीधारी जवान चाहे वह किसी भी पद पर हो वह पुलिस अधिकारी है और उसे अपने पुलिस कर्तव्यों का ज्ञान समुचित रूप से होना चाहिए।
उन्होंने ट्रेड आरक्षकों को संबोधित करते हुए कहा कि आपने अपने पदीय कर्तव्यों का निर्वहन निष्ठापूर्वक, सत्यता और निष्पक्षता तथा अनुशासन में रहकर करने हेतु जो शपथ ली है, शपथ के एक-एक शब्द का पूर्ण समर्पित भाव से पालन करते हुए अपने इकाई को जरूरी सहायक सेवाएं प्रदान करेंगे और आवश्यकता पड़ने पर प्रदेश व समाज में शांति स्थापित करने में अपना प्रभावी योगदान देंगे।
संबोधन उपरांत प्रशिक्षण में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले ट्रेड आरक्षकों को प्रशस्ति पत्र और इनाम की राशि वितरित की गई। परेड निष्क्रमण पश्चात्, अगले कम में, माननीय मुख्य अतिथि महोदय द्वारा वाहिनी परिसर के इंडोर बैडमिंटन हॉल में वुडन-सिंथेटिक कोर्ट का लोकार्पण किया गया।
कार्यक्रम के संपूर्ण अवधि के दौरान राजेश कुकरेजा मापुसे, सेनानी प्रथम वाहिनी छसबल भिलाई, जितेन्द्र शुक्ला भापुसे, पुलिस अधीक्षक दुर्ग, विजय पाण्डे, पुलिस अधीक्षक एसटीएफ, गायत्री सिंह, सेनानी 7वीं वाहिनी छसबल भिलाई, अरूण गजपाल, पुलिस अधीक्षक रेडियो, सुखनंदन राठौर, अति. पुलिस अधीक्षक दुर्ग, मीता पवार, उप सेनानी सातवीं वाहिनी छसबल भिलाई, सबा अंजुम, उप सेनानी प्रथम वाहिनी छसबल भिलाई, जयलाल मरकाम, सहायक सेनानी प्रथम वाहिनी छसबल भिलाई, प्रथम वाहिनी के प्रशिक्षक दल एवं अन्य पुलिस अधिकारी/कर्मचारी उपस्थित रहे।