गरीब के एशियाने पर फिर से एक बार चला प्रशासन का बुलडोजर घर हुआ तीथर-बीतर,, घर की हालत को देखकर मकान मालिक कि आंखें हुई नम और रोते-बिलखते हुए प्रशासन से लगाई न्याय की गुहार फिर भी नहीं थमी इन अधिकारियों की कार्रवाई,, मंदिर जैसे घर को बना दिया खंडहर न्याय की आस में गरीब ने लगाई सरकार से गुहार,, दोबारा कार्यवाही होने पर परिवार समेत आत्महत्या करने की दी चेतावनी
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जी हां गौर से देखिए इन तस्वीरों को यह वही तस्वीरें हैं जो प्रशासनिक अधिकारियों की काली करतूत को साफ तौर पर बया कर रहा हैं,,, जहां कैसे एक गरीब के आशियाने पर इन अधिकारियों ने बिना कुछ सोचे समझे बुलडोजर चला दिया जिसके चलते मंदिर जैसा यह घर देखते ही देखते खंडहर में तब्दील हो गया,, जी हा यह तस्वीर कहीं और का नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ के कोसा कासा कंचन की नगरी के नाम से जाने वाले जांजगीर चांपा जिले का है,, जहां जिला मुख्यालय से महज़ 40 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम पंचायत मिस्दा गांव का है जहां गंगाजल मुख्य द्वार के किनारे एक गरीब परिवार राम प्रसाद रही और उसका परिवार बरसों से काबिज, शासकीय जमीन पर एक छोटे से मकान बनाकर रह रहे थे, जहां गांव के कुछ लोगों द्वारा आपसी रंजीत को लेकर उनके खिलाफ झूठी शिकायत कर पैसों के दम पर इनके घर को तोड़ने की साजिश की गई जिसमें प्रशासनिक अधिकारियों का भरपूर योगदान रहा और उनके घर को तोड़ने का भरपूर प्रयास किया गया,,, मजे की बात तो यह है जिन लोगों ने राम प्रसाद रही के घर को तोड़ने की शिकायत की थी उनके द्वारा खुद शासकीय जमीन पर कब्जा कर मकान निर्माण किया गया है जब अधिकारी मौके पर पहुंचे तो केवल इस गरीब के आशियाने पर ही बुलडोजर चलाया गया,, शिकायतकर्ता के शासकीय काबिज जमीन पर इन अधिकारियों की नजर तक नहीं पड़ी, जिससे यह साबित होता है कि कैसे जांजगीर चांपा जिले में अधिकारी केवल गरीबों के आशियाने पर ही अपना बुलडोजर चलते हैं पैसे वालों के सामने तो इन अधिकारियों की बोलती बंद होती हैं तभी तो उनके घर,,, तो बहुत दूर की बात है अमीरों के चौखट तक भी इनका बुलडोजर नहीं पहुंच पाता है।
अधिकारियों के इस प्रकार से कार्यवाही से पार्थी राम प्रसाद राही और उसका पूरा परिवार काफी प्रताड़ित है और प्रशासन से न्याय की गुहार लगा रहा है साथ ही साथ राम प्रसाद रही ने मीडिया के सामने बयान देते हुए बताया कि अगर दोबारा प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा इस प्रकार से मेरे इस मकान पर कार्यवाही किया गया तो आगे चलकर मेरे पास आत्महत्या करने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचेगा जिसकी पूरी जिम्मेदारी शिकायतकर्ता और अधिकारियों की होगी।