Supreme Court : सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान आज मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने गौण खनिज में पर्यावरण स्वीकृति के मामले में पूरे देश भर के खदानों को बड़ी राहत देते हुए SEIAA से रीअप्रेजल की समय सीमा को 31 मार्च 2025 तक बढ़ा दिया है। साथ ही साथ अपने फैसले में उन्होंने रीअप्रेजल हेतु आवेदन के लिए 3 हफ्ते का समय दिया है और जहां भी पूरे देश में SEIAA कमेटी नहीं है, तो इसका गठन के लिए उस प्रदेश की सरकार को 6 हफ्ते का समय दिया है।
छत्तीसगढ़ खनिज पट्टेदार महासंघ एवं मध्य प्रदेश खनिज संघ की ओर से कोर्ट में माननीय सुप्रीम कोर्ट की वकील श्रद्धा देशमुख उपस्थित थी, उन्होंने मजबूती से सभी पट्टेदारों के हित की बात रखी और छत्तीसगढ़ के साथ-साथ पूरे देश को बड़ी राहत दिलवाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। छत्तीसगढ़ संघ श्रद्धा देशमुख और उनकी पूरी टीम का हार्दिक अभिनंदन करता है।
आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ एवं मध्य प्रदेश राज्य के खनन पट्टाधारकों ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण, प्रधान पीठ, नई दिल्ली के ओ.ए. में अंतिम निर्णय एवं आदेश को चुनौती देते हुए सिविल अपील दायर की। 2022 के क्रमांक 142 दिनांक 08.08.2024, जिसके द्वारा माननीय न्यायाधिकरण ने निर्देश दिया था कि 11.12.2018 तक जिला पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरणों (“डीईआईएए”) द्वारा जारी पर्यावरण मंजूरी (“ईसी”) वाले सभी खनन पट्टों को संबंधित राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरणों (“एसईआईएए”) द्वारा तीन महीने की अवधि के भीतर (यानी 07.11.2024 तक) पुनर्मूल्यांकन से गुजरना होगा और, यदि खनन पट्टाधारकों के पक्ष में कोई निर्णय नहीं लिया जाता है, या कोई मूल्यांकन नहीं किया जाता है, तो पट्टाधारकों द्वारा की जाने वाली खनन गतिविधियों, जिन्हें डीईआईएए द्वारा ईसी प्रदान किया गया है, को 07.11.2024 के बाद संचालित करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
सीजी और एमपी खनन संघों, दोनों के लिए उपस्थित वकील, श्रद्धा देशमुख की ओर से तर्क दिए गए कि माननीय एनजीटी द्वारा प्रभावित पक्षों को सुने बिना उक्त अखिल भारतीय निर्देश पारित किए गए हैं। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि राज्य में अस्तित्व में किसी प्राधिकरण की अनुपस्थिति में, 13.11.2024 तक पुनर्मूल्यांकन पूरा करने की समय-सीमा का कार्यान्वयन असंभव और अप्रवर्तनीय है। उन्होंने आगे कहा कि यदि आदेश बरकरार रखा जाता है, तो खनन पट्टाधारकों को गंभीर नुकसान होगा, जिनकी आजीविका राज्यों में पूरी तरह से प्रभावित होगी।
भारत के माननीय मुख्य न्यायाधीश,संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की अध्यक्षता वाली माननीय सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने दलीलें सुनीं और 31.03.2025 तक पुनर्मूल्यांकन पूरा करने के लिए समय बढ़ाने पर प्रसन्न थी। माननीय न्यायालय ने आगे निर्देश दिया कि कोई भी व्यक्ति जिसने मूल्यांकन की मांग करते हुए आवेदन नहीं किया है, उसे 15 दिनों के भीतर एसईआईएए के समक्ष प्रस्तुत किया जाना चाहिए। एक निर्देश यह भी पारित किया गया कि सभी राज्यों में जहां एसईआईएए का गठन नहीं किया गया है, प्राधिकरण को 6 सप्ताह की अवधि के भीतर तुरंत गठित किया जाना चाहिए। यह मामला अगली सुनवाई के लिए 25.01.2025 को शीर्ष 5 श्रेणी के मामलों में सूचीबद्ध है। इस आदेश का व्यापक और अखिल भारतीय प्रभाव होगा और देश में खनन कार्यों की निरंतरता पर प्रभाव पड़ेगा।