सरिया। सरिया तहसील अंतर्गत ग्राम नवघटा छैलफोरा में आज सोमवार को सुबह 12 बजे जनसुनवाई आयोजित की गई। पत्थर खदान को लेकर आज जिला प्रशासन को ग्रामीणों के आक्रोश का सामना करना पड़ा। सुबह 12 बजे जनसुनवाई के दौरान बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने छैलफोरा में स्थापित होने वाले एक पत्थर खदान को लेकर तीव्र विरोध किया एवं नारेबाजी करते हुए प्रदर्शन किया । ग्रामीणों के आक्रोश का सामना करते हुए प्रशासन ने अंतत जनसुनवाई का फैसला मौके पर न देते हुए बाद में देने का निर्णय लेते हुए जनसुनवाई खत्म करना पड़ा।
जनसुनवाई में करीब 400 ग्रामीण भाग लिए । सारंगढ़ बिलाईगढ़ जिले के सरिया तहसील अंतर्गत ग्राम पंचायत नवघटा के आश्रित ग्राम छैलफोरा में आज एक क्रेशर संचालक के डोलोमाइट पत्थर खदान को लेकर जनसुनवाई का कार्यक्रम जिला प्रशासन ने आयोजित किया था। जिसमें संयुक्त कलेक्टर श्रवण टंडन एवं क्षेत्रीय पर्यावरण अधिकारी अंकुर साहू के नेतृत्व में जनसुनवाई कार्यक्रम आयोजित की गई। जहां ग्राम छैलफोरा एवं नवघटा सहित आसपास के ग्रामीणों ने पत्थर खदान को लेकर तीव्र विरोध किया और मांग किया कि पत्थर खदान चालू न किया जाए साथ ही साथ गोमर्डा अभ्यारण का जिक्र करते हुए मांग किया कि शासन के नियमानुसार गोमर्डा अभ्यारण परिक्षेत्र से छैलफोरा नवघटा इसके दायरे में आते है। इसलिए पर्यावरण की दृष्टि से क्रेशर उद्योग एवं खदान संचालन इसके दायरे में नहीं आता है। जिसके कारण क्षेत्र के सभी क्रेशरों एवं खदानों को तत्काल बंद किया जाए और पर्यावरण नियमानुसार कार्य करते हुए लोगों को राहत पहुंचाई जाए। करीब 4 घंटे तक लगातार हुई जनसुनवाई के दौरान ग्रामीणों के आक्रोश का सामना करना पड़ा जिला प्रशासन को। वहीं राधेश्याम शर्मा, जयंत बहिदार जैसे पर्यावरण प्रेमी के सवाल का जवाब नहीं दे पाए और आनन फानन में जनसुनवाई करने का आरोप ग्रामीणों ने लगाया है। ग्रामीणों का कहना है नियम विरुद्ध केशर तथा पत्थर खदान संचालन होने के कारण यहां जीना दूभर हो गया है। जान जोखिम में डालकर लोगों को आवागमन करना पड़ता है। तथा घर में भी सुरक्षित नहीं रहते। कभी ब्लास्ट से तो कभी अंधाधुन वाहनों के चलने से परेशानियों का सामना करना पड़ता है। धूल डस्ट के कारण क्षेत्र में बीमारी ने जकड़ लिया है । हम लोग लगातार मांग करते आ रहे हैं कि यहां अवैध ढंग से संचालित क्रेशर एवं पत्थर खदान को तत्काल बंद किया जाए। लेकिन प्रशासन द्वारा कोई ठोस कार्रवाई नहीं किए जाने से ग्रामीणों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है । इसी तरह से यहां खेती किसानी भी बुरी तरह से प्रभावित हो गया है। कभी हराभरा क्षेत्र कहलाता था यह क्षेत्र ।लेकिन आज दुर्दशा के कारण खेत हरियाली के जगह डस्ट से भरा पड़ा है। इसके बावजूद भी एक और बड़ा पत्थर खदान खोलने की योजना बनाई जा रही है। जिसका विरोध हम ग्रामीण कर रहे हैं। करीब 400 की संख्या में उपस्थित ग्रामीणों ने डोलोमाइट पत्थर खदान को लेकर तीव्र विरोध किया और प्रशासन को जनसुनवाई स्थगित करने की मांग की। बड़ी संख्या में ग्रामीणों के साथ-साथ महिला वर्ग भी जनसुनवाई में शामिल हुए । क्षेत्र में पहली बार जनसुनवाई के कारण प्रशासन को आक्रोश का सामना करना पड़ा। ग्रामीणों का आरोप है कि यहां प्रशासन एक सप्ताह तो गुजर ले । तब जाकर पता चलेगा की स्थिति एवं हालत किया है। धूल डस्ट से परेशान ग्रामीणों ने पत्थर खदान का विरोध किया है तथा यहां समस्त क्रेशर एवं पत्थर खदान को तत्काल बंद करने की मांग की है । विदित हो कि क्षेत्र में दो दर्जन से ज्यादा क्रेशर संचालित हैं। जो कि नियम की विरुद्ध संचालित है । इसी तरह से पत्थर खदान भी मनमानी ढंग से संचालित किया जा रहे हैं ।यहां लोग अपनी जान जोखिम में डालकर जीवन यापन को मजबूर हैं।
राधेश्याम शर्मा, पर्यावरण प्रेमी ने आरोप लगाया है कि प्रशासन नियम विरुद्ध काम करते हुए क्रेशर एवं डोलोमाइट खदान को संचालित कर रहा है । इसका तीव्र विरोध किया जा रहा है । यदि इसके बाद भी प्रशासन द्वारा कोई उचित कार्रवाई नहीं की गई तो उग्र आंदोलन किया जाएगा। वही
नंदकिशोर विश्वाल, सचिव आंचलिक किसान संघ ने कहा कि यह क्षेत्र हमेशा से ही कृषि प्रधान क्षेत्र रहा है। लेकिन आज यहां की दुर्दशा देखकर पूरे अंचल वासी परेशान हैं। आज के जनसुनवाई में बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने पत्थर खदान स्थापना को लेकर तीव्र विरोध किया है। और मैं भी मांग करता हूं कि यह क्षेत्र गोमर्डा अभ्यारण परिक्षेत्र में आता है। इसलिए इस क्षेत्र को हरियाली से आच्छादित किया जाए। वही
निर्मला नायक, पर्यावरण प्रेमी ने जनसुनवाई के दौरान प्रशासन से मांग किया कि यह क्षेत्र कृषि के क्षेत्र में जाना जाता है। लेकिन क्रशर संचालकों एवं डोलोमाइट खदानों के कारण यह क्षेत्र अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है । यहां के लोग काफी परेशान हैं । यहां पर्यावरण को लेकर जहां इंसान परेशान है। वहीं मवेशी एवं प्रकृति भी घुटने टेक दिए हैं । जरूरत है क्षेत्र को सुरक्षित रखने का और आज का यह जनसुनवाई ग्रामीणों के पक्ष में हो। इस संबंध में प्रशासन से मांग करता हूं कि यहां अवैध ढंग से संचालित क्रशरों एवं पत्थर खदानों पर तत्काल ठोस कार्रवाई की जाए। वही
गजपति डनसेना सरपंच ग्राम पंचायत नवघटा ने कहा कि यहां पर आज एक क्रशर संचालक के डोलोमाइट पत्थर खदान को लेकर जनसुनवाई आयोजित था। जिसमें बड़ी संख्या में नागरिक उपस्थित हुए और उन्होंने अपना पक्ष रखा। कुछ लोगों ने खदान चालू करने की भी मांग प्रशासन से की। सरपंच का कहना है कि उक्त खदान ग्राम पंचायत को रॉयल्टी देता है। जिसके कारण ग्राम का विकास होता है। यह सही है कि सन 2016 में ग्राम पंचायत में प्रस्ताव कर पत्थर खदान के लिए पेपर दिया था। सरपंच ने मांग किया है कि क्षेत्र में अवैध ढंग से संचालित क्रशरों एवं पत्थर खदानों पर ठोस कार्रवाई हो। उनका कहना है कि क्षेत्र का पर्यावरण काफी दूषित हो चुका है । यहां जीवन जीना मुश्किल है। इसलिए अवैध ढंग से संचालित पत्थर खदान एवं क्रशरों पर तत्काल ठोस कार्रवाई की जाए । कार्यक्रम के दौरान संयुक्त कलेक्टर श्रवण टंडन क्षेत्रीय पर्यावरण अधिकारी अंकुर साहू ,एसडीएम सारंगढ़, तहसीलदार सरिया ,बरमकेला बड़ी संख्या में पुलिस बल मौजूद थे।