छुईखदान। CG NEWS : नगर के आसपास एवं ग्रामीण क्षेत्रों में दीपावली पर्व के बाद धान की कटाई एवं खेत में ही मिजाई का कार्य में तेजी देखी जा रही है। किसान धान की कटाई मिजाई के कार्य में व्यस्त है। किसानों द्वारा हार्वेस्टर से धान की कटाई करने पर धान का पैरा सबूत नहीं रहता जो बेलन में मिजाई करने से होता है। किसान अब अधिकतर बैल जोड़ी से कार्य नहीं कर रहे हैं। बैल नहीं होने से धान की पराली का उपयोग नगण्य हो गया है। इसलिए अधिकतर किसानों के द्वारा धान की कटाई व मिजाई खेत में ही कर धान की पराली खेतों में जला दिए जा रहे हैं। प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण अधिनियम 1981 की धारा 19 (5) के अंतर्गत फसल अपशिष्ट को जलाया जाना प्रतिबंधित है। राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण के तहत खेतों में कृषि अवशेषों को जलाने वाले व्यक्ति पर कार्रवाई का प्रावधान है। जिसके तहत जानकारी के अनुसार आर्थिक दंड के रूप में दो एकड़ से कम खेत में 2500 और 5 एकड़ खेत पर 5000 तथा 5 एकड़ से अधिक पर 15000 जुर्माना लगाया जाएगा। नगर के आसपास एवं ग्रामीण क्षेत्रों में निरंतर पराली जलाए जाने की घटना देखी भी जा रही है, व खबरें भी आ रही है, प्रशासनिक कार्रवाई न होने से किसान बेखौप होकर अपने खेतों में ही पराली जला रहे हैं, साथ ही खेतों में खरीफ की फसल कट जाने एवं रवि की फसल बोने के लिए खेतों में एकत्रित कर पराली चलाई जा रही है,ऐसी भ्रांतियां हैं कि खेतों में पराली जलाए जाने पर अवशेष के रूप में खेत में खाद मिलेगा, जबकि बताया जाता है कि पराली जलाने पर भूमि की उपजाऊ क्षमता लाभदायक कीट भी समाप्त हो जाते हैं।