बिलासपुर। Chhattisgarh : प्रदेश में हो रही सड़क दुर्घटना में मवेशियों की मौत और सड़क दुर्घटना में लोगों के शिकार होने के मामले में अब हाई कोर्ट ने अपनी दखल दे दी है, आए दिन हो रहे सड़क हादसे को संज्ञान में लिया है। आपको बात दें कि सोमवार को सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच में एनएचएआई के पिछले शपथपत्र का उल्लेख किया गया जिसमें प्रदेश सडकों के संबंध में पूरी जानकारी नहीं दी गई थी। अधूरी जानकारी पर चीफ जस्टिस ने शासन से पूछा कि एनएचएआई का सबसे बड़ा अफसर कौन है? बताया गया कि रीजनल डायरेक्टर ही सबसे प्रमुख अधिकारी हैं। इसके बाद हाईकोर्ट ने रीजनल डायरेक्टर को व्यक्तिगत शपथपत्र पर पूरी जानकारी देने का निर्देश दिया।
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पूर्व में डीबी में हुई सुनवाई में कोर्ट कमिश्नरों ने बताया था कि, बिलासपुर और आसपास कई प्रमुख मार्गों पर निरिक्षण के बाद जानकारी मिली कि, सडकों से मवेशियों को हटाने की कोई स्कीम ही नहीं है। सुबह जिन मवेशियों को हटाया जाता है, शाम को वे वापस आ जाते हैं। जब तक नगर निगम, नगर पंचायत , पंचायत जैसे स्थानीय प्रशासन समुचित उपाय नहीं करेंगे, इसका हल नहीं निकलेगा। कई अस्पतालों की पार्किंग ही नहीं है गाड़ियाँ सडक पर रहती हैं। इसी प्रकार कई दुकानों में फुटपाथ तक अपना कब्जा कर लिया है। इसके बाद चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की डिवीजन बेंच ने प्रदेश के 28 जिलों में खराब ट्रैफिक सिस्टम और लगातार बढ़ते एक्सीडेंट को लेकर एक विस्तृत रिपोर्ट कोर्ट कमिश्नर से मंगाई है।
चीफ जस्टिस ने इस पर सुनवाई करते हुए सडक पर आवारा मवेशियों के जमावड़े, लापरवाही से और बिना फिटनेस के वाहन चलाए जानें पर भी सवाल उठाए हैं। हाईकोर्ट ने इसके लिए एडवोकेट प्रांजल अग्रवाल, रविन्द्र शर्मा, अपूर्व त्रिपाठी को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करते हुए सभी जगह जांच कर अपनी रिपोर्ट पेश करने को कहा था। सोमवार को कोर्ट ने कहा कि शासन, ट्रैफिक विभाग, नेशनल हाइवे द्वारा सड़कों पर मवेशी हटाने और ट्रैफिक दुरुस्त करने के लिए कार्रवाई करनी चाहिए। पर्याप्त संकेतक बोर्ड लगाने के साथ पेट्रोलिंग टीम को भी निगरानी रखनी चाहिए।