रायपुर। मरवाही उपचुनाव का परिणाम निर्वाचन आयोग के निर्देश के मुताबिक 10 नवंबर को सामने आएगा। 3 नवंबर को इसके लिए मतदान किया गया था। मरवाही विधानसभा के 77 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया है, लिहाजा परिणाम किसके पक्ष में आने वाला है, इसका पूर्वाकलन बेहद चुनौतीपूर्ण और कठिन है।
आम चुनाव में इतनी बड़ी तादाद में मतदान का सीधा तात्पर्य सत्ता के विरोध में माना जाता है, लेकिन इस वक्त जबकि सरकार पूर्ण बहुमत के साथ शासन कर रही है और सरकार के कार्यकाल को 3 साल से ज्यादा का वक्त शेष है, ऐसे में यह मान लेना कि मतदाताओं ने मतदान के माध्यम से सरकार के खिलाफ नाराजगी व्यक्त की है, न्यायोचित नहीं माना जा सकता है।
विदित है कि मरवाही चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला हुआ है, हालांकि इन दोनों राजनीतिक दलों के अलावा मरवाही उपचुनाव में 6 अन्य प्रत्याशियों ने भी अपना भाग्य आजमाया है, लेकिन वे मतदान के परिणाम को कितना प्रभावित कर पाएंगे, इस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जा रहा है। हां, यदि जनता कांग्रेस से प्रत्याशी मैदान में होते, तो एक बार त्रिकोणीय संघर्ष और उसके परिणाम को लेकर समीकरण में बदलाव की गुंजाइश बनती थी। लेकिन जोगी कांगे्रस को नामांकन दाखिल के साथ ही मरवाही उपचुनाव से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था।
अब यहां पर सीधा मुकाबला ही हुआ है, यही कहा जा सकता है। कांग्रेस ने जहां स्थानीय प्रत्याशी के तौर पर केके धु्रव को तो भाजपा ने डाॅ. गंभीर सिंह पर दांव खेला है, देखने का विषय होगा कि इन दोनों ही दलों के इन प्रत्याशियों में से कौन सा चेहरा मरवाही की जनता को ज्यादा प्रभावित कर पाया है।