रायपुर। राजधानी के एम्स में नौकरी की चाह रखने वालों को ठगने वाले गिरोह का भंड़ाफोड़ पहले ही हो गया था। अब इस गिरोह के मास्टर माइंड धनेश भारती, सहयोगी मनीष टंडन और अजय टंडन को पुलिस ने उन्हें दबोचकर जेल दाखिल कर दिया है। हैरानी की बात यह है कि मास्टर माइंड धनेश मानवाधिकार आयोग का कर्मचारी है। वहीं आरोपी मनीष टंडन मेडिकल के कई बड़े संस्थानों में बतौर टेक्निशियन नौकरी कर चुका है।
ठगी का खेल शुरू करने से पहले गिरोह ने आर्डरशीट, ज्वाइनिंग लेटर समेत अन्य डिटेल की बारीकियों को समझा। इसके बाद आरोपी मनीष ने अपने रिश्तेदार अजय टंडन के लैपटॉप पर ज्वाइनिंग लेटर समेत अन्य कागजातों की डिजाइन तैयार की और बाद में लैपटाॅप की मदद से फर्जी ज्वाइनिंग लेटर बनाने लगे थे। पुलिस ने तीनों आरोपियों को धर-दबोचा। हालांकि आरोपी मेघनाथ चंद्रवंशी फरार है। उसे गिरफ्तार करने पुलिस ने उसके संभावित ठिकानों पर दबिश दी, लेकिन आरोपी वहां नहीं मिला।
ठगी में सबका हिस्सा फिक्स पुलिस के मुताबिक बेरोजगारों से ठगे हुए पैसे में गिरोह के सभी का हिस्सा फिक्स होता था। आरोपी अजय टंडन का लैपटाॅप प्रयोग किया जाता था, जिससे उसे 10 फीसदी और उसके रिश्तेदार मनीष को 25 फीसदी, मेघनाथ चंद्रवंशी को 25 फीसदी और खुद धनेश भारती 40 फीसदी हिस्सा लेता था। यही नहीं, नए ग्राहक लाने वाले को भी बख्शीश मिलती थी। ये है मामला गौरतलब है, आमानाका पुलिस ने पीड़ित युवराज साहू निवासी उसरी बोर्ड राजनांदगांव की शिकायत पर आरोपी मेघनाथ चंद्रवंशी, कबीरनगर निवासी धनेश भारती, दोंदेखुर्द निवासी मनीष टंडन समेत अन्य के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज किया है। आरोपी मेघनाथ चंद्रवंशी और धनेश भारती दोनों मानव अधिकार आयोग में नौकरी करते थे और धनेश भारती फर्जीवाड़े का मास्टर माइंड है।