मुंबई. कोरोना वायरल पैंडेमिक के दौरान सोनू सूद ने प्रवासी मजदूरों के लिए जो नेक काम किया है, उसके बाद से ही उन्हें प्रवासियों का मसीहा कहा जाने लगा. सोनू सूद सोशल मीडिया पर मदद मांगने वाले हर शख्स को ना सिर्फ रिप्लाई करते हैं, बल्कि उसकी मदद भी करते हैं. वहीं सोनू के इन्हीं नेक कामों ने देश भर के लोगों का दिल जीत लिया है. उन्हें हर तरफ से दुआएं मिल रही हैं. जहां एक तरफ लोगों ने उन्हें मसीहा का टैग दे दिया है, वहीं दूसरी तरफ सोनू सूद खुद ये मानते हैं कि वो कोई मसीहा नहीं हैं. इसे लेकर अपनी लॉकडाउन जर्नी को शेयर करते हुए सोनू सूद ने एक किताब लिखी है, जिसका नाम है ‘I Am No Messiah’ (मैं मसीहा नहीं हूं)… हाल ही में सोनू सूद ने अपनी इस किताब को लेकर बात भी की है.
सोनू सूद ने लॉकडाउन के दौरान अनेक जरूरतमंदों की मदद की है. वहीं अपने इस पूरे अनुभव को बयान करते हुए उन्होंने एक किताब लिख डाली है. इस किताब के बारे में बात करते हुए उन्होंने एनडीटीवी को बताया कि- ‘मैं नहीं मानता हूं कि मैं मसीहा हूं. मैं ये मानता हूं कि मैं उनकी जर्नी का एक हिस्सा हूं. हर एक प्रवासी का जो जिंदा है और बड़े शहरों में आकर अपने परिवार के लिए रोटी कमाना चाहता है. इसलिए मैं पूरी तरह ये विश्वास करता हूं कि मैंने पिछले 6 महीनों में उनके साथ जो कनेक्शन बनाया है, उसने मुझे उनमें से एक बना दिया है. मैं ये नहीं मानता हूं कि मैं किसी भी तरह का मसीहा हूं’.