जगलपुर | CG: देश मे राज परिवारों में राजसी ढंग से शादी ब्याह कोई नई बात नही, लेकिन बस्तर में पूर्व राज परिवार के सदस्य की शादी में ऊंट, हाथी व घोड़ो के साथ बारात जम्हूरियत को लहूलुहान करती है। जनता के मत से चुनी गई विधायिका, कार्यपालिका के चाल-चरित्र पर एक सवाल खड़ी करती है।
मसला यह नही कि युवराज व महाराज( प्रतीकात्मक) के घराने में दौलत है। वैभव है, उनको वायु यान से बारात निकालने व हाथी में काफिला निकालने का हक है, लेकिन डेढ़ अरब आबादी के इस देश में एक बड़ी आबादी दो जून की रोटी बड़ी मशक्कत से जुटा पाता है। इस देश मे मुकेश अम्बानी जैसे दौलत मंद कॉरपोरेट के हजार करोड़ के बंगले में रहना सामाजिक अपराध माना जाता है।
जिस देश मे एक किसान व सर्वहारा वर्ग के लोग को अपनी बेटी ब्याहने के लिए साहूकार से लिये कर्ज को अदा करने के लिए अपने आधे जीवन पसीना बहाना पड़ता है। उस देश मे ऐसा राजसी पांखण्ड भी एक सामाजिक अपराध है। इस देश मे रतन टाटा जी भी एक मिसाल है, जिन्होंने आदमी ही नही कुत्तों के सेहत की फिक्र की। उनके लिए अस्पताल बनवाए। और भी पूर्व राज व औद्योगिक घराने हैं, जिन्होंने अपने पुत्र-पुत्री का विवाह बिना पांखण्ड बिना तामझाम महज परिवारक मित्रो की मौजूदगी में करवाया है। बस्तर पूर्व राजपरिवार की दरिया दिली को लेकर और भी ज्वलन्त प्रश्न है, जिन्हें बस्तर की जनता समझती है।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि बस्तर के राजदुलारे किस संवैधानिक पद पर है?प्रोटोकॉल क्या है.? भाजपा जैसे राष्ट्रवादी दल की सत्ता में आखिरकार पुलिस महाराजा के बारात और वापसी पर जनता का आवागमन रोक रही?किसके आदेश ?किस रूलिंग पर?जिस जनता के टैक्स से नेताओ को जेड प्लस की सुरक्षा दी जा रही है। देश के भीतर उन्हें किससे खतरा है? क्या जनता से?? इसी जनता के पसीने की गाढ़ी कमाई से नोकर शाहों और सरकारी मुलाजिमों को मोटी पगार दी जा रही।