धनबाद। CG NEWS : आधुनिक युग में भी अंधविश्वास के नाम पर अमानवीय घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। धनबाद जिले में पांच महिलाओं को डायन बताकर न केवल मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया, बल्कि उन्हें अपने ही घरों से बेदखल कर दिया गया।
पीड़ित महिलाओं ने धनबाद के रणधीर वर्मा चौक स्थित गांधी सेवा सदन में मीडिया के सामने अपनी दर्दनाक आपबीती साझा की। उन्होंने बताया कि गांव के कुछ लोगों ने ओझा-गुनी के बहकावे में आकर उन्हें डायन करार दिया और उनके साथ मारपीट कर गाली-गलौज की। इतना ही नहीं, धमकियां देकर उन्हें गांव से निकाल दिया गया, जिसके चलते वे अपने पूरे परिवार के साथ गांव छोड़ने पर मजबूर हो गईं।
पीड़ितों की मांग: न्याय और सुरक्षा
पीड़ित महिलाओं ने जिला प्रशासन और सरकार से न्याय और सुरक्षा की मांग की है। उनका कहना है कि यदि प्रशासन उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करता है, तभी वे अपने घर लौटने का साहस कर पाएंगी। पीड़िता की बेटी ने भी मीडिया के सामने अपनी व्यथा व्यक्त की और कहा कि उनकी मां और परिवार की अन्य महिलाओं को डायन बताकर घर से निकाल दिया गया और उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। पुलिस से कई बार शिकायत करने के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।
पुलिस की कार्रवाई और जांच जारी
टुंडी थाना प्रभारी उमाशंकर ने बताया कि महिलाओं की शिकायत पर 16 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है और मामले की जांच जारी है। उन्होंने आश्वासन दिया कि यदि पीड़ितों को किसी तरह की समस्या होती है, तो वे थाने से संपर्क कर सकते हैं और पुलिस उनकी पूरी मदद करेगी।
समाज में जागरूकता की आवश्यकता
पीड़ित महिला ने बताया कि घर के आसपास के लोग उन्हें डायन बताकर प्रताड़ित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनके परिवार में दो लोग बीमार थे, और एक ओझा ने अन्य सदस्यों को भड़काकर यह कह दिया कि यही पांच महिलाएं डायन हैं। इसके बाद उनके साथ मारपीट की गई और घर से निकाल दिया गया। उन्होंने कहा कि यदि वे गांव वापस जाने की कोशिश करती हैं, तो उन्हें जान से मारने की धमकी दी जाती है।
डुमरी विधायक जयराम महतो ने इस घटना की निंदा करते हुए कहा कि जब पूरी दुनिया 21वीं सदी में आगे बढ़ रही है, तब इस तरह की घटनाएं समाज के लिए शर्मनाक हैं। उन्होंने पुलिस प्रशासन से इस मामले में कड़ी कार्रवाई करने की मांग की, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
यह घटना एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर करती है कि समाज में अभी भी अंधविश्वास और रूढ़िवादिता किस हद तक व्याप्त हैं। प्रशासन को इस मामले में सख्त कदम उठाने चाहिए, ताकि पीड़ित महिलाओं को न्याय और सुरक्षा मिल सके।