महासमुंद। CG NEWS : भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय किसान नेता राकेश टिकैत ने महासमुंद जिले का दौरा कर किसानों की समस्याओं को जाना और उनके हक की आवाज बुलंद की। अपने दौरे के दौरान टिकैत पहले ग्राम सिंघनपुर पहुंचे, जहां उन्होंने हाल ही में खुदकुशी करने वाले किसान के परिवार से मुलाकात की और उनका हाल-चाल जाना।
इसके बाद वे पिथौरा के गौरैया गांव पहुंचे, जहां उन्होंने किसानों की समस्याओं को लेकर आयोजित महापंचायत में हिस्सा लिया। इस महापंचायत में उन्होंने बिजली की वोल्टेज समस्या, भूमि अधिग्रहण, सिंचाई के लिए पानी की कमी और राज्य में तेजी से कट रहे जंगलों जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर राज्य सरकार को आड़े हाथों लिया।
बिजली, भूमि अधिग्रहण और सिंचाई की समस्याओं पर सरकार को घेरा
प्रेस वार्ता के दौरान राकेश टिकैत ने महासमुंद जिले में किसानों को हो रही समस्याओं को गिनाते हुए कहा कि इलाके में बिजली की भारी किल्लत है, भूमि अधिग्रहण की समस्या गंभीर होती जा रही है और चकबंदी भी नहीं हो रही है। सबसे बड़ी चिंता यह है कि किसानों के खेतों तक सिंचाई के लिए पानी नहीं पहुंच पा रहा है, जिससे उनकी फसलें प्रभावित हो रही हैं।
उन्होंने कहा कि भारतीय किसान यूनियन छत्तीसगढ़ में अपने संगठन का विस्तार करेगी और अधिक से अधिक किसानों को जोड़कर एक मजबूत संगठन तैयार किया जाएगा।
जंगलों की कटाई और खनन के खिलाफ जताया विरोध
किसान नेता टिकैत ने छत्तीसगढ़ में जंगलों की कटाई को सबसे बड़ी समस्या बताया। उन्होंने कहा कि हसदेव के हजारों साल पुराने जंगलों को केवल खनन के नाम पर उजाड़ा जा रहा है, जिससे वहां के आदिवासी और किसान प्रभावित हो रहे हैं। जो जंगलों को ‘हरी देव’ मानकर उनकी पूजा करते हैं, उन्हें अपने ही जंगलों से बेदखल किया जा रहा है।
बिजली निजीकरण और भूमि अधिग्रहण कानून पर सरकार को घेरा
उन्होंने बिजली क्षेत्र में निजी कंपनियों की एंट्री पर भी सरकार की नीतियों की आलोचना की। टिकैत ने कहा कि केंद्र सरकार ने पहले बिजली संशोधन विधेयक (Electricity Amendment Bill) पर चर्चा करने का वादा किया था और निजीकरण से इनकार किया था, लेकिन इसके बावजूद विभिन्न राज्यों में बिजली कंपनियों को निजी हाथों में सौंपा जा रहा है।
भूमि अधिग्रहण को लेकर भी उन्होंने सरकार पर निशाना साधा और कहा कि पूरे देश में यह एक गंभीर समस्या बन गई है। कई बार आंदोलन के दबाव में उचित मुआवजा मिल जाता है, लेकिन अधिकतर मामलों में सरकार किसानों की जमीन सस्ते में या दान खाते में ले लेती है। नए भूमि अधिग्रहण कानून में किए गए संशोधन से राज्य सरकारों को अधिक अधिकार मिल गए हैं, जिससे किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है।
किसानों को कर्ज के जाल में फंसाने का आरोप
राकेश टिकैत ने सरकार पर किसानों को जानबूझकर कर्ज के मकड़जाल में फंसाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सरकार फसलों के दाम बढ़ाने की बात नहीं करती, लेकिन कर्ज बढ़ाने की योजनाएं जरूर लाती है। इससे किसान लगातार आर्थिक संकट में फंसते जा रहे हैं।
उन्होंने किसानों से एकजुट होने और अपने हक के लिए संघर्ष जारी रखने की अपील की। महासमुंद दौरे के बाद टिकैत ने कहा कि भारतीय किसान यूनियन छत्तीसगढ़ में अपने आंदोलन को और मजबूती से खड़ा करेगी और किसानों की समस्याओं को लेकर संघर्ष जारी रहेगा।