रायपुर। GRAND NEWS : देशभर में धूमधाम से आज बैसाखी पर्व मनाया जा रहा है, वहीं देवेंद्रनगर गुरुद्वारे में बैसाखी पर्व और खालसा पंथ स्थापना दिवस के मौके पर शबद कीर्तन और अरदास कर वाहे गुरू से सबकी खुशहाली की कामना की गई। छत्तीसगढ़ टेनिस संघ के महासचिव व ग्रैंड ग्रुप के चेयरमैन गुरुचरण सिंह होरा ने अपने परिजनों के साथ गुरूद्वारे में मत्था टेककर प्रदेश की खुशहाली की कामना की।
बैसाखी पर्व और खालसा पंथ स्थापना दिवस के मौके पर देवेंद्रनगर गुरूद्वारे में शबद कीर्तन का आयोजन किया गया। इस दौरान सिक्खजनों ने गुरुगोविंद और पंचप्यारों का नाम जप सबकी खुशहाली की कामना की। चेयरमैन होरा ने अपने परिजनों के साथ गुरूद्वारे में मत्था टेककर खालसा पंथ स्थापना के बारे में बताया। इस दौरान गुरुगोविंद सिंह के जीवनी को स्मरण करते हुए चेयरमैन होरा ने कहा कि देश और विदेश में सिक्ख धर्म की अलग मिशाल और पहचान है। वाहे गुरु के पथ पर चलते हुए सिक्ख समाज सबकी सेवा में लगे हुए है, श्री होरा ने कहा गुरु गोविंद जी सिखों के दसवें गुरु थे। उन्होंने वर्ष 1699 में बैसाखी पर्व के दिन खालसा पंथ की स्थापना की थी। पंजप्यारों को अमृत पान करवाया था। साथ ही पंज प्यारों के हाथों से अमृत पान किया था। बैसाखी का पर्व भारतीय संस्कृति की विविधता और एकता को प्रदर्शित करने वाला एक महत्वपूर्ण अवसर है।
बैसाखी का धार्मिक महत्व
बैसाखी का पर्व सिख धर्म में विशेष धार्मिक महत्व रखता है। यह दिन सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी द्वारा खालसा पंथ की स्थापना का प्रतीक है। गुरु जी ने इस दिन सभी जातिगत भेदभावों को समाप्त कर दिया था और एकता का संदेश दिया था। यह पर्व सिखों के लिए एक नया अध्याय, एक नई शुरुआत और धार्मिक सिद्धांतों के पालन का दिन है। गुरु गोबिंद सिंह जी के नेतृत्व में खालसा पंथ की स्थापना ने समाज को एकजुट करने के लिए एक मजबूत कदम उठाया था।
बैसाखी पर सिख धर्मावलंबी गुरुद्वारों में विशेष पूजा और अरदास करते हैं। इस दिन विशेष रूप से गुरुद्वारों में भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है और नगर कीर्तन की परंपरा निभाई जाती है। लोग इस दिन को अपने पवित्र कर्तव्यों को याद करने, गुरु के बताए मार्ग पर चलने और धर्म के प्रति अपनी आस्था को और गहरा करने का अवसर मानते हैं। बैसाखी का पर्व सिख धर्म के लिए एक समय होता है जब वे अपने गुरु की शिक्षा और खालसा पंथ के महत्व को मानते हुए एकजुट होते हैं और समाज में शांति, भाईचारे और समानता का प्रचार करते हैं।