CG NEWS : भरत सिंह चौहान. जांजगीर-चांपा। जहां एक ओर राज्य सरकार शिक्षा के क्षेत्र में विकास के दावे कर रही है और स्कूलों के लिए करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। जांजगीर-चांपा जिले के ग्राम भड़ेसर स्थित नवीन प्राथमिक शाला आमानारा की हालत बद से बदतर है।
इस स्कूल की दुर्दशा का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पाँचवीं कक्षा के कमरे को रसोईघर बना दिया गया है, जहाँ बच्चों का मिड-डे मील पकाया जाता है। स्कूल में रसोई शेड तक की सुविधा नहीं है, जिससे बच्चों की पढ़ाई के साथ-साथ स्वास्थ्य पर भी खतरा मंडरा रहा है।
सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि स्कूल में बच्चों के लिए शौचालय तक नहीं बनाया गया है। शिक्षकों ने कई बार आवेदन देकर उच्च अधिकारियों को स्थिति से अवगत कराया, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। अधिकारी आंख मूंदे बैठे हैं और समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं।
स्थानीय ग्रामीणों ने भी स्थिति की गंभीरता को लेकर प्रशासन से कई बार गुहार लगाई है। ग्रामीणों का कहना है कि स्कूल के सामने एक बड़ा गड्ढा है जिसमें बरसात के दौरान पानी भर जाता है, जिससे बच्चों को सांप-बिच्छू जैसे जानवरों का डर बना रहता है। ग्रामीणों ने मांग की है कि इस गड्ढे को जल्द से जल्द राखड़ से भरवाया जाए और बच्चों के लिए नया शौचालय निर्माण कराया जाए।
सरकार की शिक्षा नीति पर उठते सवाल:
ऐसी स्थिति में यह सवाल उठना लाज़मी है कि क्या सरकारी योजनाएं सिर्फ कागज़ों पर सिमट कर रह गई हैं? जब तक ज़मीनी स्तर पर बच्चों को बुनियादी सुविधाएं नहीं मिलतीं, तब तक शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार कैसे संभव है?
अब देखना यह है कि जिला प्रशासन कब जागता है और इन मासूम बच्चों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए ठोस कदम उठाता है।